पंजाब सरकार ने भूमिगत पाईप लाईन प्रणाली द्वारा वर्षा के पानी के उचित प्रयोग के लिए एक अदभुत प्रोजैक्ट हेतू 120 करोड़ रूपये की राशि आरक्षित रखी है। यह प्रणाली विकासशील देशों द्वारा जल स्रोतों के उचित इस्तेमाल के लिए एक शानदार परिवर्तन के रूप में प्रयोग की जा चुकी है। पंजाब के कृषि मंत्री जत्थेदार तोता सिंह ने यह जानकारी देेते हुए कहा कि मध्य पंजाब में भू-जल की कमी, उत्तरी उप पहाड़ी क्षेत्रों में जल स्रोतों की कमी और दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र में खारे पानी की समस्या को इस प्रणाली की सहायता से दूर किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रणाली से न केवल पानी की बचत होगी बल्कि झाड़ व कृषि गुणवत्ता में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी।जत्थेदार तोता सिंह ने यह भी कहा कि तीन वर्षों के इस विकास प्रोजैक्ट को भूमि व जल संभाल विभाग पंजाब द्वारा लागू किया जाएगा ओैर इस प्रोजैक्ट का उद्धेश्य सतह व सतह से नीचे पानी के स्रोतों से उपलब्ध सिंचाई के पानी का योग्य प्रयोग करना है। उन्होंने बताया कि एक विस्तृत सिंचाई योजना तहत दो पड़ावों में सबसिडी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके तहत लाभपात्री भाईचारे द्वारा नगद/मजदूरी के रूप में लागत का दस प्रतिशत योगदान दिया जाएगा और नब्बे प्रतिशत लागत प्रस्तावित आरआईडीएफ 17 प्रोजैक्ट द्वारा उठाई जाएगी। जिसके तहत राज्य सरकार को नाबार्ड द्वारा 95 प्रतिशत ऋण दिया जाएगा और शेष का पांच प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा डाला जाएगा।
उन्होंने यह भी जानकारी दी इस प्राजैक्ट का प्रचार गांवों की पंचायतों, मिट्टी संभाल व कृषि विभाग के एक्सटैंशन वर्करों और प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा किया जाएगा। संभावी लाभपात्रियों को इस योजना से लाभ उठाने के लिए जागरूक व शिक्षित किया जाएगा। स. तोता सिंह ने बताया कि इस प्रोजैक्ट से पंजाब भर में 35027 हैक्टैयर क्षेत्र को लाभ पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त इस प्रोजैक्ट से जहां एस सी/ लघु व मध्यम वर्ग के किसानों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में पक्के तोैर पर मिलने वाले सिंचाई के पानी से सुधार होगा वहीं बेहतर झाड़ के $कृषि उत्पादन प्रणालियां मजबूत होंगी और इसके साथ ही भू-जल की रिचार्जिंग होने के साथ ही मिट्टी के खारेपन को रोकने में सहायता मिलेगी और इसी प्रकार वातावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।जत्थेदार तोता सिंह ने यह भी बताया कि इस प्रणाली और बरसाती पानी प्रोजैक्टों से जमीन की कीमत कम से कम दस प्रतिशत बढ़ेगी, मजदूरी की लागत में कमी आएगी, जमीन को नुकसान पहुंचने की रोकथाम होगी और सिंचाई के लिए वार्षिक तौर पर तीन सौ हैक्टेयर मीटर बरसाती पानी जमा किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि किसान भाईयों को कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए वातावरण शुद्ध रखना चाहिए। उन्होंने यह चिन्ता भी प्रकट की कि भू-जल का स्तर घटता जा रहा है और जमीन के कई पोषक तत्त्वों के खातमें के साथ वातावरण के संतुलन पर नाकारात्मक असर पड़ा है।