दिल्ली में 18 नवंसर से सुरों और अल्फाजों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' चल रहा है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में कई जाने-माने लेखक साहित्यकार व कलाकार शामिल हो रहे हैं. साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' के मंच से दूसरे दिन कई हस्तियों ने भाग लिया. साहित्य की नई आवाजे सेशन में मौजूदा दौर के लेखकों पर चर्चा हुई.
Sahitya AajTak 2022: दिल्ली में साहित्य का सबसे बड़ा मेला चल रहा है. साहित्य आजतक के तीन दिन के कार्यक्रम में सिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-माने चेहरे हिस्सा ले रहे हैं. साहित्य आजतक के मंच पर दूसरे दिन 'साहित्य की नई आवाजें' सेशन में देश के जाने माने लेखकों ने मौजूदा दौर के लेखन और लेखकों पर चर्चा की. इस दौरान लेखक भगवंत अनमोल, तसनीम खान, रत्नेश्वर सिंह और इरा टाक ने तमाम बातें कीं.
अनछुआ ख्वाब, रिस्क-ए-इश्क लिखने वाली लेखिका, फिल्म मेकर इरा टाक ने कहा कि मोहब्बत और इश्क से खूबसूरत कुछ भी नहीं है. इश्क के बिना कुछ भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि लेखक का कोई जेंडर नहीं होता. अच्छे लेखन के लिए संवेदनशीलता, अनुभव और समझ होनी चाहिए. एक समय महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था, यह काफी लंबे संघर्ष के बाद समय आया है, जब हम अपनी बात मंच पर सामने रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मोहब्बत हो तो दीवानगी हो, टुकड़ों में तो आशिकी बहुत लोग करते हैं. इसलिए अपने काम, परिवार से दीवानगी होनी चाहिए. इंसान को खुद से ईमानदार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि लेखन में भाषा सहज होनी चाहिए. हर कहानीकार अपने हिसाब से लिखता है. कहानी में भाव सबसे महत्वपूर्ण होते हैं.
भाषा की प्रयोगधर्मिता को समझना चाहते हैं आज के युवाः तसनीम खान
'ऐ मेरे रहनुमा' लिखने वाली तसनीम खान ने कहा कि मेरी किताब पितृसत्ता को खिलाफ है. हमारा जीवन तभी चल सकता है कि जब हम एक दूसरे के सहयोगी बनें, न कि रहनुमा. आज भी समाज में ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिनको अभी भी गैर बराबरी का सामना करना पड़ता है, हालांकि काफी बदलाव आ चुका है, जो सुकून देने वाला है.
तसनीम खान ने कहा कि कैसा लेखन पसंद किया जाएगा, ये हम तय नहीं कर सकते. अगर हम एक पंक्ति में कोई बात नहीं कह पाए तो सौ लाइन लिखकर भी हम अपनी बात नहीं समझा सकते. आजकल युवा पुराने लेखकों को भी खूब पढ़ते हैं. नएपन में भी पुरानेपन को समझना चाहते हैं. शब्दों का सफर कभी खत्म नहीं होता.
उपन्यास में बताई गई है 32 हजार साल पहले की दुनियाः रत्नेश्वर सिंह
लेखक रत्नेश्वर सिंह ने कहा कि युवाओं को ध्यान में रखकर उन्होंने 'मीडिया लाइव' और 'जीत का जादू' लिखी है. उन्होंने कहा कि इंसान को पहले खुद को जीतने का का प्रयास करना चाहिए, इसके बाद दूसरों को जीतने की कोशिश करें. रत्नेश्वर सिंह के उपन्यास '32 हजार साल पहले' पर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर 32 हजार साल पहले का समय लौटकर देखा जाए तो पता चलता है कि यह खूबसूरत दुनिया स्त्रियों की वजह से बनी है.
उन्होंने कहा कि इस उपन्यास में ये बातें बताने की कोशिश की है कि स्त्री-पुरुष के बीच पहली बार प्यार हुआ था, वो कैसा था, नृत्य पहली बार कैसे शुरू हुआ, इन सभी बातों को वैज्ञानिक तत्थ्यों के सहारे बताने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि आज का पाठक बेहद समझदार है. उनकी भाषा, उनका विषय सभी को हमें अपने साहित्य में शामिल करना होगा.
कहानी लोगों को बताती है कि आपको कैसा जीवन जीना हैः भगवंत अनमोल
लेखक भगवंत अनमोल ने 'जिंदगी 50-50' हाल में उपन्यास लिखा है. इसके अलावा कई अन्य किताबें आ चुकी हैं. इस दौरान भगवंत ने कहा कि प्यार के बिना जीवन ही नहीं है. सोच जेंडर देखकर किसी के भीतर नहीं आती. भाषा महज किसी को समझाने का तरीका होता है, न कि भाषा. कहानी लोगों को ये बताती है कि आपको कैसा जीवन जीना है. भगवंत अनमोल ने कहा कि लेखक और वैज्ञानिक हर चीज को अपने नजरिए से देखता है.
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