वॉयस ऑवर आर्टिस्ट और लेखक हरीश भिमानी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और नरेशन के लिए राष्ट्रपति पदक मिल चुका है. 'साहित्य आजतक 2022' के मंच से 'मैं समय हूं' सत्र में उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा पर प्रभुत्व के लिए उसे धर्म का दर्जा देना जरूरी है. नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित 'साहित्य आजतक 2022' के मंच पर जाने माने वॉयस ओवर आर्टिस्ट और लेखक हरीश भिमानी ने महाभारक की उद्घोषणा से पूरे स्टेडियम को मंत्र मुग्ध कर दिया.
साहित्य आजतक के मंच से 'मैं समय हूं' सत्र में उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा पर प्रभुत्व के लिए उसे धर्म का दर्जा देना जरूरी है. हरीश भिमानी ने सत्र की शुरुआत करते हुए ज्यों ही
चूंकि मैं समय हूं
मैं कल भी था
आज भी हूं
की उद्घोषणा की तो दर्शक मंत्रमुग्ध सरोबार हो गए.
भाषा पर प्रभुत्व के लिए भाषा को धर्म का दर्जा देना जरूरी सत्र के दौरान पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए हरीश भिमानी ने कहा कि आज जब भी मेरे पास लड़के-लड़कियां या उनके माता-पिता करियर को लेकर सलाह लेने आते हैं तो सबसे पहले मैं उन्हें ये बताता हूं कि ये कोई क्षेत्र नहीं है. फिर भी अगर आप इसको लेकर सीरियस हैं तो आपको 'धर्म परिवर्तन' की जरूरत तो नहीं है, लेकिन आपको एक और धर्म अपनाना होगा, क्योंकि अगर आप भाषा को धर्म का दर्जा देंगे तो आप उस भाषा को सम्मान देंगे और उसके प्रति समर्पित होंगे.
सफलता बड़ी बात नहीं, जिस पथ पर सफल हुआ वो बड़ी बात'
अपना अनुभव शेयर करते हुए हरीश भिमानी ने कहा कि मेरे लिए सफलता बड़ी बात नहीं थी, लेकिन जिस पथ पर मैंने सफलता पाई वो बड़ी बात थी. उन्होंने कहा कि जब मैंने इस क्षेत्र में कदम रखा तो एक तरह से रिफ्यूजी की तरह था. मैंने इतनी पढ़ाई करने के बाद भी जिस रास्ते को चुना था, वो कहां जा रहा है, कुछ पता नहीं था.
कॉलेज के दिनों की भी यादें शेयर कीं
हरीश भिमानी ने साहित्य आजतक के मंच पर कॉलेज के दिनों की यादें शेयर कीं. उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी मैंनेजमेंट की पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुए, इसलिए मैंने एमबीए की पढ़ाई की फीस खुद भरी. भिमानी ने कहा कि मैं अपने फीस के लिए आर्टिकल लिखने के साथ-साथ ऑल इंडिया रेडियो में भी काम करता था.
मुकेश खन्ना से जुड़ी यादों को भी साझा किया
हरीश भिमानी ने भीष्म पितामह के नाम से मशहूर मुकेश खन्ना से जुड़ी यादों को भी साझा किया. उन्होंने कहा कि कॉलेज के दिनों में एक लड़के ने अपनी जगह पर मुझे आगे लाइन में लगा दिया था और वह खुद पीछे लग गया था. जब उससे 18 साल बाद मुलाकात हुई तो वो भीष्म पितामह मुकेश खन्ना थे. कार्यक्रम के अंत में उन्होंने मैं समय हूं... फिर से सुनाया, जिससे दर्शक एक बार फिर से महाभारत की यादों में डूब गए.
About Sahitya Aajtak
A confluence of various literature forms - poetry, prose, music and drama - the festival is a part of Aaj Tak’s endeavour to highlight the importance of art and literature in today’s era. The fest brings together a diverse mix of marquee writers, scholars, authors, musicians, actors, columnists, business leaders, poets and theatre artists, who have made their mark across audiences with their work over the years.
They will unite again on a single platform to express their views openly and engage in meaningful dialogues about the nature of art, culture and literature in the world, and the indelible imprint they leave on the minds and hearts of people. '