एसवाईएल के अधूरे निर्माण को जल्द पूरा कराए जाने और बिजली-पानी संकट का तुरंत समाधान करने की मांग को लेकर करनाल जिले के घरौंडा विधानसभा क्षेत्र के इनेलो कार्यकर्ताओं ने पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान, पार्टी के जिलाध्यक्ष यशवीर राणा व रघुबीर सिंह बुटेल के नेतृत्व में गुरुवार को धरना दिया और प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इनेलो नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हरियाणा के पक्ष में आने के बावजूद एसवाईएल का निर्माण शुरू न करवाए जाने को लेकर सरकार की तीखी आलोचना की। इनेलो नेताओं ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा को उसके हिस्से का पानी एसवाईएल के माध्यम से मिलना था लेकिन कांग्रेस व भाजपा की हरियाणा विरोधी सोच के चलते आज 50 साल बाद भी प्रदेश को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल रहा।इनेलो नेताओं ने कहा कि हरियाणा किसी से खैरात नहीं बल्कि अपने हिस्से का पानी मांग रहा है और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अनुसार एसवाईएल के अधूरे निर्माण को पूरा करवाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र सरकार पर है। आज केंद्र व हरियाणा में दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं इसके बावजूद भाजपा प्रदेश को उसके हिस्से का पानी दिलवाने के लिए एसवाईएल के अधूरे निर्माण को पूरा करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही। उन्होंने कहा कि एसवाईएल के मामले पर इनेलो कोई भी बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेगी और हरियाणा की जीवनरेखा एसवाईएल का निर्माण पूरा करवाकर ही दम लेगी। इस अवसर पर इनेलो नेता ओमप्रकाश सलूजा, धर्मवीर पाडा, पूर्व चेयरमैन चौधरी कुलदीप सिंह, कुलदीप राठी, इनेलो महिला जिलाध्यक्ष प्रकाश कौर, राधा राणा व जगदीश बनोड़ी सहित इनेलो के अनेक प्रमुख नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।
इनेलो कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन कानून के अंतर्गत पानी के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी ने हरियाणा को 3.78 मिलियन एकड़ फीट पानी देने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र ने 24 मार्च 1976 को हरियाणा को उसके हिस्से के लिए 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी देने का निर्णय लिया। इस पानी को प्रदेश में लाने के लिए एसवाईएल नहर का निर्माण किया जाना था और स्व. जननायक चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए न सिर्फ इस नहर के लिए पंजाब क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण करवाई बल्कि सरकार की ओर से पंजाब को एक करोड़ रुपए की राशि भी अदा की। उन्होंने कहा कि कांग्र्रेस ने हमेशा इस नहर के निर्माण में अड़ंगे लगाने का काम किया और 1987 में चौधरी देवीलाल ने दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही न सिर्फ नहर के निर्माण कार्य में तेजी लाने का काम किया बल्कि सबसे ज्यादा निर्माण कार्य उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने हरियाणा विधानसभा में खुद स्वीकार की थी कि एसवाईएल का सबसे ज्यादा निर्माण कार्य चौधरी देवीलाल ने करवाया है।
नरेंद्र सांगवान ने कहा कि प्रदेश व केंद्र में फिर कांग्रेस की सरकार बनते ही नहर का निर्माण कार्य फिर ठप्प हो गया और इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित मामले की इनेलो प्रमुख चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने जोरदार पैरवी की जिसके चलते सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया। पूर्व विधायक ने कहा कि इस नहर के निर्माण को रोकने के लिए पंजाब में कैप्टन अमरेंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने नदी जल समझौते रद्द करने वाला एक असंवैधानिक बिल पारित कर दिया ताकि फिर से नहर के निर्माण में बाधाएं खड़ी की जा सकें। हरियाणा व केंद्र में दस साल तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन कांग्रेस ने नहर का पानी लाने के लिए कोई प्रयास करना तो दूर इस बारे में एक शब्द तक नहीं बोला। इनेलो नेता ने कहा कि अब फिर राष्ट्रपति के संदर्भ पर सर्वोच्च न्यायालय पंजाब विधानसभा द्वारा पारित बिल को असंवैधानिक ठहरा चुका है और नहर के निर्माण में अब कोई बाधा नहीं रही है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अनुसार अब इस नहर के निर्माण को पूरा करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र पर है। पिछले छह महीने से भाजपा सरकार इस पर कोई कदम उठाने और नहर को पूरा करवाने की बजाय मामले को लटकाए हुए है। इनेलो नेताओं ने प्रदेश में बिजली-पानी संकट को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया और सरकार से बिजली-पानी संकट का भी तुरंत समाधान करने, 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने और आगजनी से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को 25 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की।