स्वराज अभियान के राष्ट्रीय संयोजक योगेंद्र यादव ने यहां रविवार को कहा कि सूखे के चलते बुंदेलखंड की हालत भयावह है और समय रहते प्रयास नहीं किए गए, तो इस इलाके में सूखा अकाल में बदल जाएगा। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के हालात को लेकर सामाजिक संगठनों, किसान संगठनों और बुद्धिजीवियों से 'संवाद' करते हुए यादव ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की यात्रा की है। उन्होंने पाया है कि सबसे बुरे हालात उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के हैं।
अगर समय रहते प्रयास नहीं किए गए तो यहां सूखा अकाल में बदल जाएगा।यादव ने आगे कहा कि बुंदेलखंड का सच जानने के लिए स्वराज अभियान और परमार्थ संस्थान मिलकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने जा रहे हैं। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता दो सौ गांव में पहुंच कर आकलन करेंगे और रिपोर्ट दिवाली से पहले आ जाएगी। बाद में सर्वेक्षण रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सौंपी जाएगी। साथ ही इस क्षेत्र को अकाल से बचाने के लिए अहम सुझाव भी दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन का मकसद किसी सरकार की आलोचना करना नहीं है, वे तो अकाल को रोकना चाहते हैं। यादव ने कहा कि कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिए जाने की तैयारी है, मगर किसानों के लिए पहला आयोग कब बनेगा, यह सवाल बना हुआ है। किसान आज भी सरकारों की प्राथमिकता सूची में अंतिम पायदान पर हैं, जो चिंता का विषय है।इस मौके पर उपस्थित परमार्थ संस्थान के प्रमुख और जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड को अकाल से उबारने की चुनौती है, यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वह मिलकर काम करें। 26 अक्टूबर को सौ से अधिक स्वैच्छिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को सूखे के आकलन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये प्रशिक्षित लोग बुंदेलखंड की 28 तहसीलों के सभी गांवों में पहुंचेंगे।बताया गया है कि सूखा के आकलन के दौरान मुख्य तौर पर पेयजल समस्या, जानवरों के लिए चारा, पलायन की स्थिति और सूखे से सामाजिक बदलाव पर विशेष जोर रहेगा।