केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि पत्रकारों की हत्या के आंकड़ों पर अलग से दस्तावेज तैयार नहीं किया गया है और साल 2014 में मीडियाकर्मियों पर हमले के 113 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, "राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2014 से मीडियाकर्मियों पर हमले के आंकड़ों को अलग से इकट्ठा करना शुरू किया। पत्रकारों की हत्या के आंकड़े को अलग नहीं रखा जाता।"उन्होंने कहा कि मंत्रालय को भारतीय प्रेस परिषद से पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर रपट नहीं मिला है और पत्रकारों पर हमले की जांच को लेकर अलग से एक विशेष टास्क फोर्स के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा, "किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्राथमिक तौर पर राज्य सरकार की है, जिनके अधिकार क्षेत्र में व्यक्ति रहता है।"मंत्री ने कहा, "सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे के आकलन के बाद ही सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने का कोई अलग से वर्गीकरण नहीं किया गया है, हालांकि पत्रकार व्यक्तिगत तौर पर सुरक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।"