विश्व प्रसिद्ध स्वीडन लेखक श्री इश्तियाक अहमद द्वारा लिखित पुस्तक "विभाजन से पहले भारतीय सिनेमा में पंजाब का योगदान" का विमोचन हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध व्यक्तित्व श्री सुभाष घई ने मुंबई के कर्मा फाउंडेशन हॉल व्हिस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल फिल्म सिटी कॉम्प्लेक्स में एक प्रभावशाली समारोह में किया।
प्रो सरचंद सिंह के अनुसार इस कार्यक्रम का आयोजन ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन वेस्ट इंडिया के चेयरमैन श्री राजन खन्ना द्वारा किया गया था, जिसमें मुंबई और बॉलीवुड की प्रमुख पंजाबी हस्तियां और सैकड़ों पंजाबी और सिनेमा प्रेमी भी शामिल हुए।
प्रभावशाली कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सामाजिक मुद्दों पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म 'इकबाल' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे गए प्रसिद्ध सिनेमा निर्माता-निर्देशक, अभिनेता, गीतकार, संगीत निर्देशक व पटकथा लेखक श्री सुभाष घई ने अपने अनुभव और उनकी पंजाबी पृष्ठभूमि के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) के झेलम जिले से भारत आया था।
पंजाब के रक्तरंजित बंटवारे पर "पंजाब, रक्तरंजित, विभाजन और निर्मल" पुस्तक लिखने के बाद लेखक और राजनीतिक विज्ञानी डॉ. इश्तियाक अहमद ने अपने अनुभव दूसरों के साथ साझा किए और कहा कि उक्त पुस्तक में विवरण पढ़ने के बाद, कई परिवार वापस इकट्ठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि असार बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक "पंजाब का कंट्रीब्यूशन टू इंडियन सिनेमा बिफोर पार्टीशन" पंजाबी भावना को सच्ची श्रद्धांजलि है जिसने उन्हें सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाई।
इस अवसर पर ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन के संरक्षक डा. इकबाल सिंह लालपुरा चेयरमैन नेशनल माइनॉरिटी कमीशन व एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. कुलवंत सिंह धारीवाल चेयरमैन वल्र्ड कैंसर केयर ने एक संदेश में जहां सभी को बधाई दी और कहा कि यह संस्था पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत व पंजाबी साहित्यकारों, कलाकारों व कलाकारों को समर्पित है।
इसका उद्देश्य लेखकों को सम्मान देना और उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की रचनाओं को प्रकाशित करने और लेखकों व कलाकारों के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाने में संगठन की भूमिका रहेगी.
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री राजन खन्ना ने पंजाबी संस्कृति की महानता के बारे में बताया और भारतीय सिनेमा में पारंपरिक प्रभुत्व को बनाए रखने में पंजाबियों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि महान पंजाबी संस्कृति सांप्रदायिक बाधाओं को तोड़ सकती है।
भारत-पाक सीमा के दोनों ओर के लोगों के बीच आपसी भाईचारा बना सकते हैं। श्रोताओं ने उनके इन शब्दों की सराहना की, " नफ्रातं दे असी कोल नहीं बैना, पियार दे असी फुलकारी हां। मज़हबं दे असी हामी नही, म प्रेम के नहीं हैं, मुहबतान दे असी व्यापारी हां"। देखा गया कि इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी पंजाबी और सिनेमा प्रेमी जमकर लुत्फ उठा रहे थे।