फेमस इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा- मैं एक इतिहासकार हूं, राजनीति नहीं करूंगा। मंदिर तोड़कर औरंगजेब ने गलत काम किया था, वैसे ही अब सरकार भी क्या गलत काम करेगी? उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि औरंगजेब ने ही काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े थे और उस जमाने में छुपकर काम नहीं होते थे। ये जानकारी पहली बार नहीं लोगों तक नहीं पहुंची है। ये इतिहास की किताबों में दर्ज है। अब जामा मस्जिद के नीचे बताया जा रहा है कि कुछ है। ऐसे जितने ढांचे हैं उन सबको अब तोड़ दीजिए. ताजमहल-लालकिला तोड़ दीजिए। जामा मस्जिद को ध्वस्त करके निकाल कर देखिए जो कुछ मिलेगा वह सामने आ जाएगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इरफान हबीब एक नामी इतिहासकार हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। तकरीबन 90 साल के इरफान हबीब दुनिया के यूनिवर्सिटीज में लेक्चर देने के लिए बुलाए जाते हैं। इरफान हबीब मध्यकालीन इतिहास के बड़े जानकार हैं। उनको पढ़े बिना मध्यकालीन इतिहास का सिलेबस पूरा नहीं हो सकता। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। वहीं हिंदू ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर हबीब ने कहा कि जब भी पुराने समय में मस्जिद या मंदिर बने, तो उसमें बौद्ध विहारों के पत्थर मंदिरों में मिले हैं, तो क्या मंदिरों को तोड़ दिया जाए। यह बेवकूफी भरी बातें हैं। ऐसी स्थिति में बहुत से मंदिर टूट जाएंगे।प्रोफेसर ने दो टूक कहा- बनारस का मंदिर औरंगजेब ने तोड़ा था और मथुरा का भी मंदिर इसमें शामिल है इसमें कोई दो राय नहीं है।
जिसे राजावीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के शासनकाल में बनवाया था। मंदिर जानकर ही औरंगजेब ने काशी, मथुरा का मंदिर तोड़ा था। बनारस का मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में खुलकर नहीं बताया, लेकिन मथुरा का श्री कृष्ण जन्म स्थल मंदिर जहांगीर के समय में भव्य बनाया गया था। मंदिर तोड़ने के बाद औरंगजेब ने कहा था कि मैं मंदिर नहीं बनने दूंगा। हालांकि मुगल काल में मंदिर बने हैं। लेकिन काशी, मथुरा के मंदिरों को औरंगजेब ने तोड़ा था।ज्ञानवापी पर उन्होंने कहा कि जब मुकदमा दायर किया गया तब उसमें शिवलिंग का जिक्र नहीं था। लेकिन अब शिवलिंग को मुद्दा बनाया जा रहा है। वह शिवलिंग नहीं है वह फव्वारा। ऐसे फव्वारे आपको हर मस्जिद में मिल जाएंगे। ये अलग बात है कि काफी समय से इन्हें चलाया नहीं गया है। जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है वैसा शिवलिंग होता ही नहीं है। इसलिए हमें समझना होगा। जो गलती पहले हुई है क्या अब सरकार भी वहीं गलती दोहराना चाहेगी।