विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को यहां कहा कि आतंकवाद, जनसंहार के हथियारों का प्रसार और जलवायु परिवर्तन तीन गंभीर चुनौतियां हैं, जिनसे आज दुनिया जूझ रही है।सुषमा यहां रायसीना वार्ता-2019 को संबोधित कर रही थीं। यह भारत का प्रमुख भूराजनीतिक व भूरणनीतिक सम्मेलन है, जिसका आयोजन हर साल विचार मंच ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की साझेदारी में विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाता है।सम्मेलन में विदेशमंत्री ने कहा, एक वक्त था जब भारत आतंकवाद की बात करता था और दुनिया के अनेक मंचों पर इसे कानून-व्यवस्था के मसले के रूप में लिया जाता था। लेकिन आज बड़ा या छोटा कोई देश इस मौजूदा खतरे से बचा हुआ नहीं है, खासतौर से वे देश जो आतंकवाद का समर्थन व प्रायोजन करते हैं।उन्होंने कहा, इस डिजिटल युग में चरमपंथ का खतरा बढ़ने से चुनौती और बढ़ गई है।उन्होंने याद दिलाया कि 1996 में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) का प्रस्ताव किया था, लेकिन दुख की बात है कि आज तक यह मसौदा ही बना हुआ है, क्योंकि हम एक समान परिभाषा पर सहमत नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, आतंकवाद के लिए शून्य-सहिष्णुता सुनिश्चित करना वक्त की जरूरत है।उन्होंने कहा कि दूसरा खतरा जनसंहार के हथियारों के प्रसार का है।विदेश मंत्री ने कहा कि तीसरा खतरा जलवायु परिवर्तन का है। उन्होंने कहा कि विकासशील और अविकसित देशों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर पड़ा है, क्योंकि उनके पास इस संकट का समाधान करने की न तो क्षमता है और न ही उनके पास संसाधन है।सुषमा ने कहा, हमने चुनौती का सामना करने की ठानी है। भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर 120 देशों की साझेदारी में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) बनाया है।उन्होंने अपने संबोधन में पिछले साढ़े चार सालों के दौरान भारत की वैश्विक साझेदारी के पांच तत्वों का जिक्र किया।उन्होंने कहा कि भारत ने अपने निकट व दूरस्थ पड़ोसियों के साथ अपने संबंध-सेतु का पुनर्निर्माण किया है। उन्होंने कहा, खासतौर से प्रधानमंत्री के सागर की रणनीतिक दूरदर्शिता से हाल के वर्षो में भारत की हिंद महासागर क्षेत्र में साझेदारी में गुणवत्तापूर्ण बदलाव आया है।