समाज में वैज्ञानिक सोच का प्रचार कर रही तर्कशील सोसाइटी ने गांव बलौंगी में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीदी दिवस के अवसर पर चेतना मार्च निकाला। यह चेतना मार्च बाजार और गांव की गलियों में घुमा और सोसाइटी वर्करों ने 'इंकलाब जिंदाबाद, अंध्वश्वास मुर्दाबाद' के नाहरे लगाए। इकाई मोहाली और खरड़ की तरफ से निकाले गए चेतना मार्च का मकसद था लोगों को शहीदों की सोच के बारे में बताना और अंधविश्वास के विरुद्ध जागरूक करना। इस मौके पर भगत सिंह की कोटेशनों पर अधारित एक परचा पंजाबी और हिंदी में बांटा गया। इस मौके पर संबोधन करते हुए तर्कशील नेता लेक्चरार सुरजीत सिंह, जरनैल क्रांति और जसवंत सिंह ने कहा कि भगत सिंह बराबरी वाले समाज की सिर्जना करना चाहता था और वह नहीं चाहता था कि अंग्रेजों के यहाँ से चले जाने के बाद 'काले अंग्रेज़' देश पर राज करें। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार ने इन शहीदों की कुर्बानी का मूल्य नहीं पाया बेशक हाकम हर साल शहीदों के बुतों पर हार ज़रूर पा आतें हैं। तर्कशीलों ने लोगों को यह भी बताया कि भगत सिंह यह भी चाहता था कि लोगों को किसी भी प्रचलित बात को सिर्फ इस लिए नहीं मान लेना चाहिए क्योंकि उसको बहुगिन्ती लोग मानते हैं। इस मौके पर मास्टर जरनैल सिंह, कर्मजीत सकरुल्लानपुरी, कुलविंदर नगारी, इकबाल सिंह, गोरा होशियारपुरी, गुरतेज सिंह, हरविंदर सिंह, आमीन तोपला, गुरिंदर सिंह, अरविंदर, हरप्रीत आदि हाज़िर थे।