तर्कशील सोसाइटी पंजाब की इकाई मोहाली की तरफ़ से यहाँ 'राष्ट्रवाद के राह और कुराह' विषय पर सेमीनार मोहाली इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन के हाल में करवाया गया, जिस में दिल्ही यूनिवर्सिटी के प्रो. अपूर्वानंद मुख्य बुलारे हाजर हुए। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा के देश के आज़ादी के आंदोलन ने अपने आप को राष्ट्रवाद से मुक्त रखा था। उन्होंने कहा के महात्मा गांधी, भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू देश की आज़ादी के लिए लडते हुए भी राष्ट्रवाद के जनून के खिलाफ थे और रविंद्र नाथ टैगोर राष्ट्रवाद के सब से बड़े आलोचक थे। उन्होंने विषय की तह तक जाते हुए कहा कि राष्ट्रवाद हिंसा और अलगाव पर टिका होता है और इस का घेरा बहुत सीमित होता है। बोलन की विशेष शैली लिए प्रसिद्ध प्रोफेसर अप्परवानंद ने कहा के राष्ट्रवाद के मार्ग पर चलने वाले बाहर की सभ्यता को शक्क की नजरों से देखते है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का हिंदुओं के साथ रहना, मुसलमानों का मुसलमानों के साथ रहना सोचने के लिए 'अच्छा' लगता है पर इंसानियत के पक्ष में नहीं। उन्होंने भूतकाल में घटित घटनाओं का ज़िक्र करते कहा कि देश के भीतर ऐसा पर्यावरण बना दिया गया है कि यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेजों को शक्क की नजर से देखा जा रहा है। आम जनता में यह प्रभाव बना दिया गया है कि देश के बड़े बड़े संस्थान राष्ट्र विरोधी है। उन्हों ने गऊ राक्षसों की तरफ से एक खास धर्म के लोगों पर किये जा रहे हमलों की सख्त आलोचना करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए देश में खतरनाक माहौल सिरजा जा रहा है। उन्होंने केंद्र की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र में एक ऐसी ताकत काबिज़ हो गई है जो संविधान और सामान्यता पर यकीन नहीं करती। उन्होंने कहा कि जनसंख्या कम करना, सौचालय बनाना और स्वच्छ भारत धर्म निरपेक्ष तर्क नहीं है। इन शब्दों से जिन लोगों को शर्मिन्दगी सहनी पड़ रही है वह लोग दलित और अल्पसंख्यकों से संबंधित है। उन्होंने ने दावा किया कि आर. एस. एस., सिखों, बोधियो और जैनियो को हिंदू धर्म का अंग नहीं मानती और इसकी तरफ से एक वियापक मंच तैयार किया जा रहा है जिस में मुसलमान और ईसाई शामिल नहीं। सेमीनार दौरान 200 के करीब समाजिक, सियासी, विधार्थी, सहितक और चिंक हाजर थे।