वन, पर्यावरण, पशु एवं भेड पालन, मत्स्य पालन एवं सहकारिता राज्य मंत्री मीर जहूर अहमद ने लकड़ी की आपूर्ति और डल झील से पेड़ कोटने और हटाने के एसएफसी के शेष भुगतान के बारे में समीक्षा करने के लिए आज जम्मू-कश्मीर राज्य वन निगम (जेकेएसएफसी), जम्मू व कश्मीर परियोजना निर्माण निगम (जेकेपीसीसी) तथा झील व जलमार्ग विकास प्राधिकरण (लावडा) के अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई।बैठक में प्रबंध निदेशक जेकेएसएफसी सुरेश गुप्ता, सचिव लावडा सुमिरा शमीम और जेकेपीसीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।राजबाग, श्रीनगर में विरासत ‘जीरों ब्रिज’ के निर्माण के लिए जेकेपीसीसी को लकड़ी की आपूर्ति के सएफसी के शेष राशि का भुगतान के बारे में जेकेपीसीसी प्रबंधन ने बैठक को बताया कि खाते मंे कुछ त्रुटि हैं और इसे सुधारा जाना चाहिए।
मंत्री ने एसएफसी और जेकेपीसीसी के अधिकारियों को एक संयुक्त बैठक बुलाई और एक हफ्ते के समय के भीतर शेष राशि का सामंजस्य करने का निर्देश दिया।बैठक में बताया गया कि राजबाग, श्रीनगर में विरासत जीरो ब्रिज के निर्माण के लिए जेकेपीसीसी को 1048.24 सीएफटी की विशेष आकार की लकड़ी प्रदान की गई।डल झील से पेड़ों की कटाई और हटाने के कारण कानूनी विवाद की समीक्षा के दौरान, एसएफसी अधिकारियों ने बताया कि वृक्षों को हटाने के कारण लावडा की ओर 69 लाख रुपये की राशि अभी भी लंबित है। बैठक में यह भी सूचित किया गया कि प्राधिकरण द्वारा जेके एसएफसी को 1.09 करोड़ की कुल लागत के मुकाबले 52 लाख रुपये पहले ही चुकाए गए हैं।बैठक में निर्णय लिया गया कि एसएफसी के लकड़ी की आपूर्ति और डल झील से पेड़ों को काटने व हटाने के शेष राशि के भुगतान को षीघ्र जारी करने के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा।