पंजाब के वर्तमान कृषि हालात में जहां लगभग हर कृषि कार्य का मशीनीकरण कर लिया या है वहीं केवल कपास ही एकमात्र ऐसी फसल है जहां पर मानवीय शक्ति का ही प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन अब इसमें बदलाव लाते हुए पंजाब सरकार ने खरीफ के इस सीजन से दक्षिण पश्चिम पंजाब में चार हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती का पूर्ण मशीनीकरण करने की महत्वकांक्षी कार्यक्रम प्रगति के पथ पर है। इस बात की जानकारी देते हुये पंजाब के कृषि मंत्री जत्थेदार तोता सिंह ने बताया कि गत् वर्ष इस आधुनिक प्रोजेक्ट तहत 1400 एकड़ रकबा लाया गया था और इस परियोजना के उत्साहजनक परिणाम आने के बाद इस प्रोजेक्ट को चार हजार एकड़ रकबे में लागू करने का निर्णय लिया गया ताकि किसानों की अर्थिकता को पुन: पटरी पर लाया जाये और कृषि विविधता योजना को प्रौत्साहन मिल सके।
उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में भारत सरकार व राज्य सरकार के अलावा कई अन्य सरकारी व निजी संस्थान शामिल हैं जिनमें पंजाब कृषि विश्वविधालय लुधियाना, मैसर्स जॉन डीरे इंडिया लिमिटेड, मैसर्स बायर इंडिया लिमिटेड, मैसर्स बजाज स्टील लिमिटेड, पंजाब मंडी बोर्ड, पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट श्री के.एस. पन्नू, आईएएस, प्रबंध निदेशक, पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन, के नेतृत्व में चल रहा है जो पिछले दो सीजन से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं। परियोजना के लिए कई हाइड्रोलिक कॉटन सीड प्लांटर का प्रबंध किया गया है जिन्हें किसानों को किराये पर दिया जाएगा, इसके अलावा किसानों कपास के विशेष बीज खरीदने तीन हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ कपास के पौधे की उंचाई को चार से साढ़े चार फीट के बीच विकसित होने देने के लिए रसायनों का आयात किया जा रहा है, इसी प्रकार फसल के झडऩे और कपास के बीननेे से ठीक पहले प्रयोग होने वाले रसायन भी मंगवाए जा रहे हैं। कपास की सफाई करने और इसे सुखाने के लिए पंजाब मंडी बोर्ड ने 1.25 करोड़ रूपये की लागत से मशीन खरीदी है जिसे मार्केट कमेटी मलोट में स्थापित किया गया है। यंत्रीकृत फसल उत्पादन व्यवस्था के लिए बेहतर पैकेज और सुविधाओं का प्रबंध करे, जिससे इस चलन का और अधिक विस्तार किया जा सके।