घुटने के ऑस्टियोअर्थराइटिस से परेशान मरीजों के लिए अच्छी खबर है। फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में पार्शियल नी रीप्लेसमेंट सर्जरी, जिसे यूनीकॉन्डायलर नी रीप्लेसमेंट भी कहा जाता है, को अंजाम दिया गया है। इस तरह की सर्जरी ट्राईसिटी में पहली बार अंजाम दी गई है। फोर्टिस में डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स व जॉइंट रीप्लेसमेंट के डायरेक्टर व हेड डॉ. हरसिमरन सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि टोटल नी रीप्लेसमेंट सर्जरी तो हुई है, लेकिन यह पहली बार है।
मीडिया से मुखातिब डॉ. हरसिमरन अपने साथ सर्जरी कराने वाले दो पेशेंट्स- मोहाली के 66 वर्षीय कश्मीर सिंह और सहारनपुर के 72 वर्षीय बिहारीलाल को भी लाए थे। डॉ. हरसिमरन ने बताया कि पार्शियल नी रीप्लेसमेंट के लिए सर्जरी वक्त पर करानी बहुत जरूरी है। जॉइंट और बोन क्वालिटी बहुत खराब हालत में नहीं होनी चाहिए। सर्जरी के दौरान घुटने के सिर्फ खराब हो चुके हिस्से को बदला जाता है, इससे लिगामेंट्स और कार्टिलेज बच जाते हैं। इससे ऑपरेशन के बाद मूवमेंट बेहतर रहता है और मरीज चौकड़ी मारकर बैठ सकता है, विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकता है।
फोर्टिस में कंप्यूटर की मदद से इस सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। सर्जरी से पहले ही मरीज के घुटने की 3डी इमेज बनाकर जायजा लिया जाता है। इससे डैमेज्ड टिश्यू को परखने और उसे निकालने में मदद मिलती है। इस सर्जरी में रक्तस्राव कम से कम होता है, रिकवरी जल्द होती है। पेशेंट जल्द ही नॉर्मल एक्टिविटी लेवल तक पहुंच जाता है और पेनकिलर कम समय के लिए खानी पड़ती हैं। फिजिकल रीहैब के बाद पेशेंट अपने पैरों पर जल्द खड़ा हो सकता है।
इन्हें करानी चाहिए पार्शियल रीप्लेसमेंट
एडवांस्ड ऑस्टियोअर्थराइटिस की वजह से,
-क्वालिटी लाइफ, रोज की गतिविधियों में दिक्कत आ रही है
-अर्थराइटिस घुटने के एक हिस्से तक फैला है
-दर्द घुटने के बाहरी हिस्से या अंदरूनी हिस्से में है, पूरे घुटने में नहीं
-लिगामेंट्स को ज्यादा नुकसान न पहुंचा हो
फायदे
-सर्जरी के बाद दर्द कम
-कम सूजन
-हॉस्पिटल में कम वक्त के लिए रहना होगा
-आसान रीहैबिलिटेशन