श्री गुरु नानक देव जी की पवित्र चरण स्पर्श से सराबोर सुल्तानपुर लोधी की पवित्र धरती पर रविवार की सुबह से संध्याकाल तक मुख्य पंडाल में युगों युग अटल श्री ग्रंथ साहिब जी की छत्र छाया में सजे दीवान में आज गुरबानी के इलाही कीर्तन ने संगत को गुर चरणों के साथ जोड़े रखा। सिख पंथ के प्रसिद्ध विभिन्न कीर्तनी जत्थों ने मंत्रमुग्ध करने वाले कीर्तन से संगत को निहाल किया।
सिमरि सिमरि पूर्ण प्रभु, कार्य भए रासि,
करतारपुरि करता वसै संतन कै पासि॥
इस शब्द के द्वारा जब भाई सतिन्दरपाल सिंह सुल्तानपुर लोधी वालों के जत्थे ने इलाही वाणी का कीर्तन शरू किया तो सारी संगत ने एकमगन होकर उस इलाही ज्योति की प्रशंसा में भागीदारी डाली क्योंकि वाहिगुरू के सिमरण के साथ ही मानव के सभी कार्य सिद्ध होते हैं।इसके बाद प्रिंसीपल सुखवंत सिंह जडिंयाला ने जीवन में सच्चे गुरु के महत्व को सार्थक करते गुरबानी का शब्द ‘मत को भरमि भूले संसारी, गुर बिन कोई न उतरसि पारि’ का गायन किया। इसके बाद उनके जत्थे ने पुरातन तंती साजों सहित मारू राग में करते हुए आगे एक सिख के हृदय की पीड़ा बयान करता शब्द गान ‘जो मय बेदन सा किसु आखां माई, हरी बिनु जिउ ना रहे कैसे राखा माई’ किया।इसके बाद बीबी राजविन्दर कौर अमृतसर के जत्थे के इलाही कीर्तन के साथ नगरी की पर्यावरण में इलाही वाणी की तरंगे फैल गई। इसके उपरांत डा. गुरिन्दर सिंह बटाला, भाई सतविन्दर सिंह बौदल, बीबी आशुप्रीत कौर जालंधर, डा. नवेदित्ता सिंह पटियाला और भाई बलवंत सिंह नामधारी के कीर्तनी जत्थों ने गुरवाणी गायन के द्वारा इस ब्रह्मांड के निरवैर, निर्भय, सिरजनकत्र्ता की प्रशंसा से संगत को गुरवाणी से जोड़ा।इस मौके पर राजस्व विभाग कैबिनेट मंत्री स. गुरप्रीत सिंह कांगड़ और स्थानीय विधायक स नवतेज सिंह चीमा ने भी संगत के साथ नम्र सिख में गुरु जी के दरबार में हाजिरी भरी। इसके अतिरिक्त बाबा परगट सिंह चोला साहिब वाले, बाबा साहिब सिंह, बाबा प्रितपाल सिंह, बाबा बीरा सिंह सिरहाली साहिब वाले भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे नतमस्तक हुए।