पंजाब में कांग्रेस का पतन होता जा रहा है। एक समय था जब पंजाब के लोगों को कांग्रेस पर भरोसा था, इस भरोसे की वजह कहीं न कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह भी थे। लेकिन कांग्रेस ने एक ऐसी गलती की जिससे सारा बेड़ा गर्क हो गया। कांग्रेस की एक 'भूल' उसे पंजाब में बहुत भारी पड़ गई। कांग्रेस हाईकमान की इस भूल ने पंजाब में पार्टी की जड़े हिलाकर रख दी। कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू के चक्कर में कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुनील जाखड़ जैसे नेताओं को गंवा दिया और अब सिद्धू भी जेल चले गए हैं। सिद्धू पर अति विश्वास के कारण कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ जैसे नेताओं को खो दिया तो अब नवजोत सिंह सिद्धू भी उसके लिए आफत बन गए। अब ये हाल है कि कांग्रेस से एक एक करके दिग्गज नेता निकल रहे हैं और बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
विधानसभा चुनाव तो कांग्रेस बुरी हारी ही और अब कांग्रेस को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। दो दिन पहले ही पंजाब कांग्रेस के चार पूर्व मंत्रियों ने BJP की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इसके साथ ही मोहाली के मेयर ने भी चंडीगढ़ स्थित BJP ऑफिस में पार्टी जॉइन की। आपको बता दें कि कांग्रेस के पतन की नींव 2020 में प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की एंट्री के साथ ही रख दी गई थी। प्रदेश प्रभारी बनने के साथ ही हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को अस्थिर करना शुरू कर दिया था। यह वह समय था जब नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के टॉप पर चल रहे थे। आलाकमान को सिद्धू ने अपने भाषणों से इतना प्रभावित कर दिया था कि उन्होंने सिद्धू पर आंख बंद करके भरोसा किया। पार्टी हाईकमान सिद्धू को पंजाब में सबसे पहले वाली रो में खड़ा करने का इच्छुक था, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं थे।
कैप्टन लगातार पार्टी हाईकमान को यह संदेश दे रहे थे कि सिद्धू के आगे आने से पार्टी को नुकसान होगा। लेकिन हरी रावत सिद्धू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। इसके बाद सिद्धू ने बेअदबी, बहबलकलां गोली कांड, ड्रग्स मामलों को लेकर ट्वीटर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ जंग सी छेड़ दी। यह लड़ाई इतनी बड़ी हो गई कि कई कैबिनेट मंत्रियों ने कैप्टन के नेतृत्व पर भरोसा नहीं होने की बात कहकर बगावत कर दी।
मामला यहीं पर नहीं रुका। नए मुख्यमंत्री पद की तलाश में जब सुनील जाखड़ सबसे प्रबल दावेदार के रूप में सामने आए तो पार्टी ने दो जट सिखों नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा की तू-तू मैं-मैं में खुद को उलझाया और इस झमेले से निकलकर चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव खेला।
लेकिन ये दाव भी कांग्रेस के लिए उलटा पड़ गया। हालात इतने खराब हो गए कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 77 से महज 18 सीटों पर सिमट कर रह गई।कांग्रेस न सिर्फ विधानसभा चुनाव हारी बल्कि उसके कईं बड़े नेताओं ने भी पार्टी को टाटा कह दिया। पार्टी में उठापटक के कारण पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी और फतेहजंग बाजवा ने कांग्रेस को अलविदा कहा तो अब सुनील जाखड़ ने भी कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। इतना ही नहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज कुमार वेरका, बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा और गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने भी बीजेपी का हाथ थाम लिया है। अब पंजाब में कांग्रेस का भगवान ही मालिक है। कांग्रेस की ये हालत देखकर एक बात कही जा सकती है कि राजनीति में एक छोटी सी गलती आपका बेड़ा गर्क कर सकती है। एक समय पूरे राज्य में जिस पार्टी का बोलबाला था आज वहां उसका नाम भी सुनाई नहीं दे रहा है।