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पंजाब यूनिवर्सिटी में संसदी जमहूरियत-डा.अम्बेदकर के विचार सबंधी सैमीनार करवाया गया

कमजोर वर्गो के साथ, महिलाओं औंर मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ी लड़ाई-विजय सांपला

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5 Dariya News

चंडीगढ़ , 30 Aug 2016

पंजाब सरकार द्वारा भारतीय सविधान के निर्माता डा. बीआर अम्बेदकर के 125वें जन्मदिवस को मनाने के उद्देश्य के साथ पंजाब  यूनिवर्सिटी में संसदी जम्हूरियत-डा. अम्बेदकर के विचार विष्य पर दूसरा राष्ट्रीय सैमीनार करवाया गया।इस राष्ट्रीय सैमीनार में मुख्य मेहमान के रूप में बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद व हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी उपस्थित हुए। विशेष मेहमान के रूप में पंजाब विधान सभा के स्पीकर डा. चर्णजीत सिंह अटवाल , केन्द्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला , चौधरी जुलफकार अली कैबनिट मंत्री जम्मू व कश्मीर , प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर वाइस चांस्लर पंजाब यूनिवर्सिटी उपस्थित हुए ।इस राष्टीय सैमीनार में राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि हमे आज यह देखने की जरुरत है कि बाबा साहिब द्वारा निर्मात किए गए संसदी लोकतंत्र पर हम किस स्तर पर खड़े हैं और हम को बाबा साहिब के पदचिन्हों पर चलने के लिए हमे भेद-भाव, ऊंच-नीच और जात-पात को समाप्त करना होगा। तभी हम संसदी लोकतंत्र के साथ साथ समाजिक लोकतंत्र को विकसित कर सकेंगे। बाबा साहिब ने देश सर्वपक्षीय प्रगति को समझते हुए प्रत्येक क्षेत्र को देखते हुए सविधान का निर्माण किया । उन्होंने कहा कि बाबा साहिब ने बचपन से ही सामाजिक भेद-भाव का सामना किया और एक वार बाबा साहिब को एक बैलगाड़ी वाले ने उनकी जाति के कारण उनको बैलगाड़ी से उतार दिया, इस तरह के भेद-भाव वाले संघर्षमय जीवन के बावजूद भी कोई बाबा साहिब को आगे बढऩे से रोक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि राज्य के हित्त  व जनहित के सम्पूर्ण विकास के लिए बाबा साहिब द्वारा बताए गए मार्ग पर चलें।

उन्होंने आगे बताया कि जिस तरह से गीता जीवन को चलाने के लिए और परिवार को चलाने के लिए रामायण हमारा मार्गदर्शन करती है ठीक उसी प्रकार देश और संसदी लोकतंत्र को चलाने के लिए डा. अम्बेदकर द्वारा निर्मात सविधान की जरुरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में हमारा देश का भविष्य है और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इस सैमीनार का आयोजन यूनिवर्सिटी में किया गया है। इस सैमीनार में पंजाब विधान सभा के स्पीकर डा. चर्णजीत सिंह अटवाल ने कहा कि भारतीय सविधान सभा की अध्यक्षता करते बाबा साहिब ने कई देशों के सविधान और राजनीतिक प्रणालियों का गहरा अध्यन किया और पाया कि भ्भारत के लिए लोकतांत्रिक प्रणाली ही ठीक रहेगी क्योकि यह प्रणाली ही महात्मा बुद्ध के समय से संघ के रूप में प्रचलित थी और देश हित्त के मामले संघ के माध्यम से हल किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहिब का योगदान न केवल भारत के सविधान के निर्माण में है ब्लकि भारत के अलग अलग राज्यों को एक धागे में पिरों कर मौजूदा रूप देने में अहम भूमिका निभाई है।उन्होंने कहा कि सच में बाबा साहिब का सपना तभी साकार हो सकता है अगर राइट-टू-एजूकेशन के साथ साथ राइट एजूकेशन का अधिकार लागू किया जाए और देश में प्रत्येक बच्चा एक समान शिक्षा ग्रहण कर सके। केन्द्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला ने कहा कि बाबा साहिब के पास विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात उनके पास हजारों इस तरह के सुनहरे अवसर  थे , लेकिन उन्होंने देश के सम्पूर्ण विकास और कमजोर वर्ग के साथ महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ाई की और उनके बनते कानूनी अधिकार भी मुहैया करवाए। 

उन्होंने कहा कि डा. अम्बेदकर ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया , बिजली के लिए नेशनल ग्रिड की जरुरत को समझते हुए, भाखड़ा और दमोदर नदी पर डैम बनवाए।  मजदूरों के काम करने के लिए आठ घण्टे का समय निर्धारित किया, महिलाओं को मटर्नटी लीव, वोट का अधिकार और समानता के अधिकार के लिए आवाज उठा कर उनके बनते अधिकार उनको दिलाए।सैमीनार में बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने कहा कि डा. अम्बेदकर आधुनिक भारत के निर्माता, राष्ट्र भक्त, दुरदर्शी और भारतीय जन मानस में इस तरह से विधमान हैं, जिस लिए हमें अपनी हर समस्या के लिए उनकी विचारधारा को पढना पड़ता है। डा. अम्बेदकर भारत के एकमात्र इस तरह के भारती थे जिन्होंने अर्थशास्त्र की पी.एच.डी. की और एशिया के प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने डबल पी.एच.डी. की शिक्षा ग्रहण की।उन्होंने आगे कहा कि संसदी कार्यगुजारी की उदाहरण हमे हमारे इतिहास में भी मिलती है। उन्होंने बताया कि महात्मा बुद्ध जब अपने जीवन के अंतिम सांस ले रहे थे तो उन्होंने संघ (उस समय के संसद) की प्रक्रिया को निरंतर चलाने के लिए कहा और उसकी मर्यादा को बनाए रखने के लिए निवेदन किया और कहा कि संसद की कारगुजारी पूरी होने के पश्चात ही उनको आकर मिला जाए।बाबा साहिब ने हमेशा अपने विचारों का विकास करते हुए परिवर्तन किया है जिस से हमे उनके विचारों से विचारों की परिवर्तनशीलता सीखने को मिलती है। ,

सैमीनार में चौधरी जुलफकार अली कैबनिट मंत्री जम्मू कश्मीर ने बताया कि यह डा. अम्बेदकर की देन है कि आज कमजोर वर्ग के लोगों को भी उनके अधिकार मिल रहे हैं। बाबा साहिब की दुरदर्शिता से यह साबित होता है कि वह अपने समय से आगे थे। जो वह सोचते थे उनके तत्कालीन लोग वह कभी भी नहीं सोच पाते थे।बाबा साहिब बुद्ध भिक्षु संघों के अपने अध्यन से एक सुन्दर उद्हारण देते हुए बताते हैं कि उस समय जो संघ थे वह आज के पार्लीमेंट की तरह ही थे और आधुनिक संसदी कार्यवाई संबंधित नियमों के बारे में यह संघ अच्छी तरह से जानते थे। बैठने की व्यवस्था, प्रस्ताव संबंधी नियम, मत्ते, कोर्म, विप, वोटों की संया, बैलट द्वारा वोटिंग, निंदा का प्रस्ताव, कोर्ट द्वारा निपटाए हुए मामलों को दूसरी वार न उठाना आदि संबंधी नियमों की पालना भी संसद की तरह ही करते थे। इस राष्ट्रीय सैमीनार में बाबा साहिब के 125वें जन्मदिन को मनाते हुए गठित कमेटी के को-कनवीनर और पूर्व विधायक इन्द्र इक्बाल सिंह अटवाल, विधायक सोम प्रकाश, श्रवण सिंह फिल्लौर , जसटिस(रिटायर्ड) निर्मल सिंह, दर्शन सिंह कोटफत्ता, राजेश बाघा चेयरमैन राज्य अनुसूचित जाति कमिशन विशेष रूप से पहुंचे और तकनीति सैशन में प्रो. रोणकी राम पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, प्रो. सुषमा यादव इगनो नई दिल्ली, प्रो. पर्मजीत सिंह जज गुरु नानक देव युनिवर्सिटी अमृतसर, प्रो. बलजीत सिंह जम्मू युनिवर्सिटी, प्रो. जगरूप सिंह, गुरु नानक देव युनिवर्सिटी, श्री अमृतसर की तरफ से तकनीकी सैशन में बाबा साहिब संबंधी अपने विचार व्यक्त किए जाएंगे।

 

Tags: Vijay Sampla , Kaptan Singh Solanki , Charanjit Singh Atwal

 

 

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