नवयुवक पीढ़ी को देश की आजादी में गदरी योद्धाओं के डाले योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए क्योकि उनकी अनेक कुर्बानियों के कारण ही हम आज आजाद हैं। देश की स्वतँत्रता के अभियान का आगाज भी पंजाबियों ने ही किया था पंरतु दुख की बात है कि हम अपने विरसे पर पेहरा देने में असफल होते जा रहे हैं। नवयुवा देश का भविष्य होते है यदि नौजवान अपने बुजर्ग स्वतंत्रता संग्रामियों को याद रखेगें तो पंजाब खुशहाली प्राप्त करता रहेगा। इन विचारों का प्रगटावा डा. चरणजीत सिंह अटवाल स्पीकर पंजाब विधान सभा ने दूसरी लाहौर साजिश केस के अंतराष्ट्रीय समागम में चंडीगढ म्यूजियम एवं आर्ट गैलरी में हरीदर्शन मैमोरियल ट्रस्ट कनाडा के इंडिया चैप्टर द्वारा आयोजित समागम में बोलते हुये किया। स. तरलोचन सिंह पूर्व चेयरमैन अल्पसंख्यक आयोग ने अध्यक्षीय भाषण देते हुये कहा कि पंजाब देश का ऐसा राज्य है जिसने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणीय योगदान दिया था।
इस अवसर पर दूसरे लाहौर साजिश केस में फंासी का लगना उमरकैद तथा अन्य सजाएं प्राप्त करने वाले गदरी योद्धाओं के आश्रितों को सम्मानित किया गया जिनमें डा. गुरप्रकाश सिंह सेंटलुईस अमरिका, डा. जसवंत सिंह सिद्धू कार्बनडेल अमरिका, गुरनेक सिंह बराड़ एवटस फोर्ड कनाडा, बीबी इकबाल कौर सिद्धू कार्बनडेल अमरिका और भाई रणधीर सिंह का पड़पौता भाई जुझार सिंह लौगली इंगलेैड शामिल थे। दलीप सिंह फुलेवा के लड़के जगजीत सिंह , भाई निधान सिंह ढीकमपुर के पौतरे स. जसवीर सिंह कोहली व ज्ञानी हरभजन सिंह चमिंडा के पौते भाई दर्शन सिंह को यादगारी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर अपने संक्षिप्त भाषण में सिक्ख विद्वान एवं चिंतक भाई जैतेग सिंह अनंत जो कि कनाडा से विशेषकर तौर पर आये है ने कहा कि राष्ट्र ने गदरी देश भक्तो की कुर्बानियों का योगय मूल्य नही पाया बल्कि इतिहास ने भी नजरअंदाज किया है।
उन्होने आगे बताया कि दूसरे लाहौर साजिश केस में 74 दोषियों पर केस चला जिनमें से पांच को फंासी , 46 को उमरकैद और 8 को अन्य सजांए हुई। इनमें 22 गदरी भाई साहिब रणधीर सिंह के संगठन के सदस्य शामिल थे, जिनमें भाई रणधीर सिंह को उमरकैद हुई थी उन्होने मरजीवीडे देश भक्तों की याद में गत वर्ष से लगातार शताब्दी समागम किये जा रहे है अब तक इंगलैड , अमरिका , कनाडा, हालैंड तथा फ्रांस में समागम आयोजित किये जा रहे है। लाहौर में तीस मार्च 2016 को समागम किया जाएगा। भारत में दिल्ली तथा पंजाब में समागम किये जा चुके है। पंजाब के स्कूलों , कालेजों तथा यूनिवर्सिटी में ऐसे समागम किये जा चुके हैं। इंडिया चैप्टर के कवाटीनेटर उजागर सिंह ने विचार प्रगट करते कहा कि जैसे पंजाबी हर क्षेत्र में अग्रणीय है, उसी तरह आजादी की लड़ाई में भी अग्रणीय भूमिका निभाई थी। इस अवसर पर प्रमुख सिक्ख विद्वान प्रो. हिम्मत सिंह , डा. बलविन्द्र कौर बठिंडा तथा स. शविन्द्र सिंह रेखी पटियाला ने भी स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबियों के योगदान संबधी प्रकाश डाला।