मॉरीशस की सामाजिक सुरक्षा, राष्ट्रीय अखंडता एवं सुधार संस्थान (एसजेएंडई) मंत्री सुश्री फजीला जीवा दौरियावू एवं भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर के बीच एक बैठक आयोजित की गई। मॉरीशस की मंत्री के साथ भारत में मॉरीशस के उच्चायुक्त श्री जे गोवर्धन भी थे जबकि भारत के मंत्री महोदय के साथ संयुक्त सचिव श्री ए के अवस्थी और दिव्यांग अधिकारिता विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के संयुक्त सचिव श्री मुकेश जैन ने इस बैठक में भाग लिया।प्रारंभ में, मॉरीशस की मंत्री ने दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित विभिन्न नीतिगत मामलों एवं योजनाओं पर दोनों सरकारों के बीच जारी सहयोग को लेकर कृतज्ञता जाहिर की। मॉरीशस की मंत्री ने डीईपीडब्ल्यूडी से आग्रह किया है कि वह उन्हें उन महंगे सहायक यंत्रों एवं उपकरणों की सूची मुहैया कराए जो डीईपीडब्ल्यूडी द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को प्रदान किए जाते हैं। मॉरीशस की मंत्री ने सुगम्य भारत अभियान के क्रियान्वयन के संबंध में भी काफी दिलचस्पी प्रदर्शित की। उन्होंने डीईपीडब्ल्यूडी से आग्रह किया है कि वह उन्हें इसका विवरण उपलब्ध कराए कि किस प्रकार सुगम्य भारत अभियान को दिव्यांग व्यक्तियों के लिहाज से क्रियान्वित किया जा रहा है।
मॉरीशस की मंत्री ने भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री को उस वर्तमान आरक्षण नीति के बारे में जानकारी दी जिसे मॉरीशस में दिव्यांग व्यक्तियों के लिहाज से क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने जिक्र किया कि वर्तमान में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए केवल दो प्रतिशत आरक्षण है और वहां यह आरक्षण केवल निजी क्षेत्र में है। उन्होंने सरकारी क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए क्रियान्वित किए जा रहे आरक्षण के अनुभव के लिहाज से इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मॉरीशस सरकार सरकारी क्षेत्र में भी आरक्षण को विस्तारित करना चाहती है, सहायता मांगी।मॉरीशस की मंत्री ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए नए विधेयक पर भी विस्तार से चर्चा की जिसे संसद में पेश किया गया है। उन्होंने जिक्र किया कि मॉरीशस में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशिष्ट रूप से ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मॉरीशस सरकार का इरादा अब विशिष्ट रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ऐसा कानून लाने का है और उन्होंने मॉरीशस में ऐसा कानून लाने के मामले में भारत सरकार से सहायता भी मांगी है। यह बैठक वर्तमान समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आधारित कार्यक्रमों एवं नीतियों के मामले में एक दूसरे को लाभ पहुंचाने के दोनों पक्षों द्वारा अपने इरादों को दुहराए जाने के साथ संपन्न हुई।