केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीनगर में स्वामी रामानुजाचार्य की शांति की प्रतिमा का अनावरण किया।उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, देश भर के संतों और स्वामी रामानुजाचार्य के अनुयायियों के साथ श्रीनगर के शुरयार मंदिर में अनावरण समारोह में शामिल हुए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज कश्मीर में संगमरमर से बनी स्वामी रामानुजाचार्य की शांति प्रतिमा का अनावरण करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।
भारत के इतिहास के विभिन्न कालखंडों में जब भी समाज को सुधारों की जरूरत पड़ी, एक महान व्यक्ति सच्चा मार्ग दिखाने के लिए आगे आया है और रामानुजाचार्य का जन्म भी ऐसे समय में हुआ था जब देश को एक महान व्यक्ति की जरूरत थी। आज इस अवसर पर मैं रामानुजाचार्य के जीवन, कार्यों और व्यक्तित्व को नमन करता हूं।
श्री अमित शाह ने कहा कि जब सामाजिक एकता को तोड़ा जा रहा था, समाज में अनेक बुराइयां आ रही थीं, तब रामानुजाचार्य ने वैष्णववाद को उसके मूल से जोड़ने का महान कार्य किया। श्री अमित शाह ने कहा कि आज कश्मीर में इस शांति प्रतिमा की स्थापना पूरे देश, खासकर जम्मू-कश्मीर के लिए एक बहुत ही शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर शांति और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मनोज सिन्हा ने कश्मीर में आतंकवाद पर निर्णायक नियंत्रण स्थापित किया है। मनोज सिन्हा ने बिना किसी भेदभाव के कश्मीर के लोगों तक विकास पहुंचाया है। लंबे समय के बाद देश को उम्मीद थी कि अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाया जाना चाहिए और कश्मीर को भारत के साथ एकींत किया जाना चाहिए।
यह उम्मीद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरी की और 5 अगस्त 2019 से कश्मीर में एक नए युग की शुरुआत हुई। ऐसे समय में इस शांति प्रतिमा की स्थापना से सभी धर्मों के कश्मीरियों को रामानुजाचार्य का आशीर्वाद और संदेश मिलेगा और कश्मीर को शांति और प्रगति के पथ पर आगे ले जाएगा।श्री अमित शाह ने कहा कि एक तरह से रामानुजाचार्य का जीवन और कार्य स्थल ज्यादातर दक्षिण भारत में था।
लेकिन उनकी शिक्षा और प्रेम का प्रसार पूरे देश में दिखाई देता है। रामानुजाचार्य और उनके शिष्य रामानंद के मूल संदेश से देश भर में कई संप्रदाय, संप्रदाय विकसित हुए हैं। इसी का नतीजा है कि आज कश्मीर में शांति प्रतिमा स्थापित की गई है। यह प्रतिमा न केवल कश्मीर बल्कि पूरे भारत को शांति का संदेश देगी। यह मूर्ति चार फीट ऊंची और शुद्ध सफेद मकराना संगमरमर से बनी है और इसका वजन लगभग 600 किलोग्राम है।
कर्नाटक के मांड्या जिले में स्थित यदुगिरी का यतिराज मठ मेलकोट का एकमात्र मूल मठ है जो रामानुजाचार्य के समय से अस्तित्व में है।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब गुजरात में भूकंप आया, तो जीयर स्वामी उन संतों में सबसे पहले वहां पहुंचे और गांवों का पुनर्निर्माण किया। गुजरात सरकार भी अगले साल वहां रामानुजाचार्य की भव्य प्रतिमा स्थापित करने जा रही है, ताकि कच्छ के लोग यदुगिरी मठ द्वारा किए गए कार्यों को याद रखें।
रामानुजाचार्य ने अपने गुरु यमुनाचार्य से प्राप्त आदेशों के माध्यम से मठ की स्थापना की। आज यतिराज मठ के 41वें मठाधीश ने रामानुजाचार्य के जीवन का संदेश एक बार फिर से जीवंत कर दिया है। रामानुजाचार्य के जीवन की कई घटनाएं हमें युगों-युगों तक प्रेरित कर सकती हैं।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु में विक्रम संवत 1074 में हुआ था और केशवाचार्य और माता कांतिमणि के इस अद्भुत बच्चे ने अपनी किशोरावस्था में शास्त्रों का गहराई से अध्ययन किया था।
23 वर्ष की आयु में गृहस्थ आश्रम को छोड़कर श्रीरंगम के यतिराज सन्यासियों ने उन्हें सन्यास में दीक्षा दी और फिर श्री रामानुजाचार्य विद्वान, क्रांतिकारी औरॾअग्रणीॾबने जिन्होंने अपने समय में अनेक सामाजिक परिवर्तन लाए। उन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म, भक्ति और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। कश्मीर से उनके गहरे संबंध थे। मनसा, वाचा, कर्मण के सूत्र को अपनाकर उन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया। उनके संदेश से देश भर में कई संप्रदायों का उदय हुआ।
इस अवसर पर बोलते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामानुजाचार्य जी देश की शाश्वत शांति, एकता और अखंडता, सामाजिक सुधार और दलितों के उत्थान हेतु प्रेरणा हैं। उन्होंने कहा कि स्टैच्यू अफ पीस की स्थापना से जम्मू-कश्मीर दुनिया को शांति, एकता, सद्भाव और भाईचारे का संदेश दे रहा है। मुझे विश्वास है कि जगद्गुरु रामानुजाचार्य के संदेश सभी मनुष्यों को शांति, प्रेम और सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
उपराज्यपाल ने स्टेच्यू अफ पीस के अनावरण हेतु माननीय गृह मंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन में, केंद्र शासित प्रदेश सरकार जम्मू-कश्मीर में एक समृद्ध, प्रगतिशील और समतावादी समाज की स्थापना के लिए प्रयास करना जारी रखेगी। जगद्गुरु ने सामाजिक समानता के विचार को जन्म दिया और समाज में आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने में बहुत योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि मेरा माननाॾहै कि शांति की स्थापना, समाज की प्रगति के प्रयास किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरी मानवता का आंदोलन है। जगद्गुरु ने भी इस उद्देश्य को पूरा करने हेतु कश्मीर की यात्रा की है।अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में लाए गए सुधारों के बारे में बोलते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि नए सुधारों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन को बदल दिया है और उनके लिए बेहतर भविष्य का निर्माण किया है। जम्मू-कश्मीर के आदिवासियों और दलित वर्गों को दशकों से भेदभाव का सामना करना पड़ा।
माननीय प्रधान मंत्री और गृह मंत्री के मार्गदर्शन में, एक सच्चे समतावादी समाज की स्थापना हुई है और पूरी आबादी के लिए भविष्य की संभावनाओं के द्वार खोले गए हैं। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत यूटी प्रशासन ऐसे महान व्यक्तित्वों के दर्शन को छात्रों और युवाओं तक ले जाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम जम्मू कश्मीर में युवा क्लबों, विश्वविद्यालयों और कलेजों के लिए जगद्गुरु के ष्टिकोण और दर्शन को पेश करने का भी प्रयास करेंगे।'
इस अवसर पर उपराज्यपाल ने परम पूज्य श्री श्री यदुगिरि यतिराज नारायण रामानुज जीयर स्वामी जी के साथ श्री यदुगिरी यतिराजा मठ के प्रकाशन का विमोचन भी किया।इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री कर्नाटक ड. सीएन अश्वथ नारायण, संासद तेजस्वी सूर्य, संभागीय आयुक्त कश्मीर पांडुरंग के पोल तथा देश भर के संत और जगद्गुरु रामानुजाचार्य के अनुयायी मौजूद थे।