जेल में नवजोत सिंह सिद्धू के हालत ठीक नहीं है। जब से जेल गए हैं उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया है, बस दवाइयां खा रहे हैं। आज यानी सोमवार को उन्हें जेल राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया। वहां उनका मेडिकल चेकअप करवाया जा रहा है। सिद्धू ने कोर्ट में स्पेशल डाइट के लिए भी पिटीशन दायर की है। जिसके बारे में कोर्ट ने राजिंदरा अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू रोड रेज मामले में सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा सुनाई है। जिस दिन से सिद्धू जेल गए हैं उसे दिन से उन्होंने खाना नहीं खाया है। जेल की दाल-रोटी नहीं खा रहे। उनका तर्क है कि उन्हें गेहूं से एलर्जी है। इसलिए वह रोटी नहीं खा सकते।
वहीं उन्हें लीवर प्रॉब्लम और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या है। वह सब चीजें नहीं खा सकते। उन्हें कुछ खास फल और स्पेशल डाइट दी जाए। नवजोत सिद्धू ने बीमारी का हवाला देकर जेल प्रशासन से स्पेशल डाइट की अनुमति मांगी थी। हालांकि वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में पिटीशन दायर कर दी। जिसके बाद कोर्ट ने राजिंदरा अस्पताल के सुपरिटेंडेंट को इसकी रिपोर्ट बनाने को कहा। सुपरिटेंडेंट ने डॉक्टरों का बोर्ड बना दिया। जिसने सिद्धू की बीमारी के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की।इससे पहले सिद्धू ने अपनी बीमारी का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से भी सरेंडर करने के लिए मोहलत मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने इस मामले में कोई सुनवाई नहीं की और सिद्धू को शुक्रवार को ही सरेंडर करना पड़ा था। अब खबर ये भी है कि सिद्धू के वकील आज सुप्रीम कोर्ट में उनकी सजा के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकते हैं।
क्या है रोड रेज मामला, जिसमें सिद्धू को जेल हुई
सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है। सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नाम के बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। ये सिर्फ बहसबसाई का झगड़ा नहीं था आरोप है कि दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी। जिसमें सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह सिर में लगा मुक्का ही बताया गया था। इस बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1 हजार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। लेकिन बुजुर्ग के परिजन इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद कोर्ट ने सिद्धू को दोषी पाया और एक साल जेल की सजा सुनाई।