भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की जम्मू व कश्मीर क्षेत्रीय शाखा ने आज “सुशासन और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों“ पर एक व्याख्यान का आयोजन किया, जिसे सलाहकार खुर्शीद अहमद गनई ने संबोधित किया गया।समारोह की अध्यक्षता पूर्व डीजीपी (सेवानिवृत्त) डॉ अशोक भान ने की।संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए, सलाहकार ने विशेष रूप से नवाचार, प्रयोग, सहयोग और एसडीजी को प्राप्त करने के लिए एक बहुआयामी एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।गनई ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शासन मॉडल को बदलते समय के अनुकूल होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास की प्रक्रिया में कोई भी पीछे न रह जाए जिससे वितरणात्मक न्याय मिले।प्रत्येक एसडीजी पर विचार-विमर्श करते हुए, उन्होंने प्रभावशीलता, जवाबदेही, समावेशिता के सिद्धांतों को सुशासन में एकीकृत किया जाना चाहिए।एसडीजी को प्राप्त करने के लिए, सलाहकार ने तीन मुद्दों को चिह्नित किया - संस्थानों की स्वायत्तता जो शासन को जवाबदेह और भ्रष्टाचार मुक्त बनाती है; कानून का शासन बनाए रखना और सभी के लिए न्याय के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करना; और सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव की दिशा में काम करते हैं।
डॉ अशोक भान ने अपनी अध्यक्षीय भाशण में विशेष रूप से लक्ष्य 16 पर ध्यान केंद्रित करते हुए अर्थात सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना, सभी को न्याय प्रदान करना और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह और समावेशी संस्थानों का निर्माण करना, इन्हें बनाने के लिए आवश्यक वायुमंडल पर प्रकाश डाला।इससे पहले, पूर्व सदस्य, जेके पीएससी, के बी जंडियाल ने अपने परिचयात्मक संबोधन में भारत के संदर्भ में 17 संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों और इसकी प्रासंगिकता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शासन का केंद्र बिंदु आम आदमी होना चाहिए और इसलिए सभी स्तरों पर शासन को व्यापकता, समावेशिता और इक्विटी को शामिल करना चाहिए जो राष्ट्र को एसडीजी प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।डॉ अनिल गुप्ता, संयुक्त सचिव, जम्मू व कश्मीर क्षेत्रीय शाखा, आईआईपीए ने कार्यवाही का संचालन किया और धन्यवाद का औपचारिक मत भी प्रस्तुत किया।व्याख्यान में पूर्व डीजीपी, जेके पुलिस, कुलदीप खोड़ा, कुलपति, जम्मू विश्वविद्यालय, प्रो मनोज के धर, उपाध्यक्ष, आईआईपीए जम्मू-कश्मीर क्षेत्रीय शाखा, जे बी एस जौहर, निदेशक अभिलेखागार और पुस्तकालय, मुनीर-उल-इस्लाम, आईआईपीए के पदाधिकारी और कार्यकारी समिति के सदस्य और नागरिक समाज के सदस्यों ने भाग लिया।