दैनिक भास्कर समाचार पत्र में 11 अप्रैल, 2018 को ‘सीएम के इंतजार में तीन घंटे नहीं दिए बच्चों के शवः जो रात को सौंपे थे, वे भी वापस मंगाए’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार पर कांगड़ा जिले के उपायुक्त ने इस मामले की गहन छान-बीन के उपरांत बताया कि यह खबर पूर्णत गलत व भ्रामक है। उन्होंने कहा कि 9 अप्रैल, 2018 को बस दुर्घटना में मारे गए 23 बच्चों व चार व्यस्कों का पोस्टमार्टम करवाने की प्रक्रिया 10 अप्रैल, 2018 को प्रातः 7ः15 बजे आरंभ की गई जो प्रातः 10.30 बजे तक चली।वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी नूरपुर की रिपोर्ट के अनुसार पोस्टमार्टम 6 चिकित्सकों की दो टीमों द्वारा प्रातः 7:15 बजे आरंभ किया गया। पहला पोस्टमार्टम इश्ति पठानिया जबकि अंतिम पोस्टमार्टम वाहन चालक मदन का किया गया जो प्रातः 10.30 बजे संपन्न हुए। पोस्टमार्टम के बाद 10.35 बजे पार्थिव शरीर परिजनों को सौंप दिए गए। इस प्रकार पुलिस तथा चिकित्सा अधिकारियों के स्तर पर किसी प्रकार की देरी नहीं की गई।अतः यह पूरी तरह स्पष्ट है कि इस मामले में किसी प्रकार की अनावश्यक देरी नहीं की गई और न ही मुख्यमंत्री के आने तक शवों को परिजनों को सौंपने से रोका गया।
उन्होंने कहा कि राहत व बचाव की प्रक्रिया रात 8 बजे पूरी हुई। शवों के पहचानकर्ता सुबह उपलब्ध नहीं थे, जैसे-जैसे शवों की पहचान होती गई, उनका पोस्टमोर्टेम किया गया। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी नूरपुर के अनुसार सभी पोस्टमार्टम प्रातःकाल किए गए, क्योंकि पोस्टमार्टम दिन के प्रकाश में ही किए जाते हैं।उपायुक्त ने कहा कि यह कहना सरासर गलत व आधारहीन है कि पार्थिव शरीर परिजनों को 9 अप्रैल को ही सौंप दिए गए थे और उन्हें पुनः वापस मंगवाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि 9 अप्रैल को एक भी पोस्टमार्टम नहीं किया गया, इसलिये किसी भी शव को सौंपने और सुबह वापिस मंगवाने का प्रश्न ही नहीं है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम दुर्घटना के दिन कर पाना संभव नहीं था, क्योंकि चिकित्सकों की प्राथमिकता घायलों का उपचार करना था, जो गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे। इसके अलावा, चिकित्सकों के अनुसार पोस्टमार्टम रात्रि के समय नहीं किया जाना था, बल्कि दिन के उजाले में ही किया जाता है।उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन द्वारा पार्थिव शरीरों के प्रबंधन तथा इन्हें संबंधित गंतव्यों तक पहुंचाने के लिये सभी ऐतिहातन कदम उठाए गए, और इस मामले में किसी प्रकार की ढील नहीं बरती गई।ऐसा कहना कि बच्चों की लाशों पर श्रद्धांजलि की सियासत का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है। समाचार पत्र का दावा है कि अंतिम पोस्टमार्टम प्रातः 7.36 पर हो चुका था, जबकि वास्तविकता यह है कि पहला पोस्टमार्टम शुरू ही 7.30 बजे हुआ। यह कहना कि शवों को मुख्यमंत्री के आने तक 10.24 बजे तक रोका गया, भी तथ्यों से परे है, क्योंकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया 10.30 बजे संपन्न हुई।