राष्ट्रीय प्रसूति कक्ष गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम ‘लक्ष्य’ को राज्य सरकार प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों, जिला अस्पतालों और प्रथम रैफरल इकाईयों में प्रभावी ढंग से लागू करेगी। आरंभ में यह कार्यक्रम राज्य की 19 स्वास्थ्य इकाईयों में शुरू किया जा रहा है। यह जानकारी प्रधान सचिव स्वास्थ्य आर.डी. धीमान ने आज यहां ‘लक्ष्य’ पर हि.प्र. एनएचएम द्वारा आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ करने के उपरांत संबोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि लक्ष्य माता व बच्चे के स्वास्थ्य को निर्धारित करेगा और स्वस्थ रहने का बेहतर अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं सृजित करने की आवश्यकता है। गर्भवती महिला समयबद्ध रैफरल आंकलन आवश्यक है। इसके अलावा, डाक्टरों व पैरा मेडिकल स्टॉफ को अपने व्यवहार में परिवर्तन कर इसके अनुकूल बनाने की भी आवश्यकता रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को रूटीन डियूटि से हटकर सोचना होगा और कार्य करना होगा, तभी हम लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।आर.डी. धीमान ने कहा कि लक्ष्य यह सुनिश्चित करने का इरादा रखता है कि हर मां और एसके नवजात की देखभाल उचित रूप से की जाए जिससे महिला व उसके परिवार के लिए एक सम्मानजनक अवसर बने। उन्होंने कहा कि लक्ष्य को सफल बनाने के लिए केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना की जाएगी और चिन्हित अस्पतालों में इस प्रकार की सुविधाएं व वातावरण तैयार किया जाएगा। उन्होंने लक्ष्य के तहत श्रेष्ठ कार्य करने के लिए चम्बा और किन्नौर जिलों को सम्मानित भी किया।इस अवसर पर प्रधान सचिव ने ‘बच्चों में निमोनिया की रोकथाम के लिए तकनीकी दिशा निर्देश’ पुस्तिका तथा ‘मातृ मृत्यु दर’ का विमोचन भी किया। इसके अलावा राज्य की एक पहल ‘सुरक्षा’ पर भी रिपोर्ट जारी की गई। इस पहल के अंतर्गत दूर दराज के इलाकों में घर पर प्रसव होने की स्थिति में मीसोप्रोस्टोल की गोली खिलाई जाती है। यह पहल राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई है। इससे माता मृत्यु दर में कमी आई है।
रिपोर्ट में राज्य की मातृ मृत्यु दर 77 पाई गई है जो राष्ट्रीय दर 137 से काफी कम है।केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की कार्यक्रम प्रबंध टीम के सदस्य डा. आशुतोष सारवा ने ‘लक्ष्य’ पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम आंरभ होने के बाद देश में मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य के कार्यान्वयन के लिए अस्पतालों में ढांचागत बदलाव किए जा रहे हैं। लक्ष्य के लिए मापदण्ड निर्धारित किए गए हैं। 20 मानकों में से 15 मानक पूरा करने पर कार्यक्रम का उद्देश्य संतोषजनक माना जाएगा। उन्होंने कहा कि लक्ष्य की सफलता के लिए क्षमता निर्माण पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना दिशा-निर्देशों का अहम् हिस्सा है।उन्होंने कहा कि इस पहल के लिए भारत सरकार हिमाचल प्रदेश को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। लक्ष्य कार्यक्रम प्रसूति और प्रसूति के तुरंत बाद देखभाल में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक पहल है जो मातृ एवं शिशु के बहुमूल्य जीवन को बचाने के एक महत्वपूर्ण कदम होगा।इससे पूर्व, मिशन निदेशक एनएचएम मनमोहन शर्मा ने स्वागत किया और प्रदेश में ‘लक्ष्य’ को लागू करने की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो स्वास्थ्य संस्थान निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में सक्षम रहेंगे उनके स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डा. बी.एम. गुप्ता ने धन्यवाद किया। कार्यशाला में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली से लक्ष्य की टीम के विषय विशेषज्ञ डा. मन्जू चुगानी, वाइट रिबन एलाइंस से डा. रश्मि वाधवा, राज्य मेडिकल कालेजों के प्राचार्य, चिकित्सा अधीक्षक, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, एनेस्थेटिस्ट, आईपीआई ग्लोबल टीम, समस्त जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।