राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने सूचित किया है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में परिभाषित जंगली जानवरों द्वारा मनुष्यों और घरेलू पशुओं के नुकसान की राहत दरों में वृद्धि की है। इस आशय के लिए संशोधित अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी की गई है।प्रवक्ता ने बताया कि मानवीय मौत के मामलों में बढ़ी हुई राहत राशि चार लाख रुपये होगी। स्थायी विकलांगता के मामलों में राहत राशि दो लाख रुपये तथा गंभीर चोटों के मामलों में 75,000 रुपये तथा सरल चोट के मामले में राहत राशि उपचार की वास्तविक लागत के अनुसार देय होगी तथा जिसमें अधिकतम 15000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।मानव जीवन के नुकसान के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गंभीर चोट, आंशिक और स्थायी अक्षमता के मामले में प्रमाण पत्र राहत राशि के लिए दिशा-निर्देश होंगे।घोड़ा, खच्चर, भैंस, बैल, याक और ऊंट के नुकसान के मामले में दावा भी प्रदान किया जाएगा और राहत राशि 30,000 रुपये होगी, जर्सी गाय के नुकसान और क्रॉस नस्ल के मामले में राहत राशि 15,000 रुपये गाय, गधे, चुरु, चुरी और पश्मिना बकरी के नुकसान की स्थिति में 6,000 रुपये प्रदान किये जाएंगे। भेड़, बकरी, सुअर, भैंस के कट्टों, जर्सी गाय और अन्य सभी नस्लों के याक घोड़े, ऊंट, चुरी, गधे, पश्मिना बकरी, भेड़ और बकरी राशि के नुकसान के मामले में क्रमशः 3000 और 1500 रुपये प्रदान किये जाएंगे।जंगली जानवरों के कारण होने वाले मवेशियों के नुकसान का सत्यापन पंचायत प्रधान व उप प्रधान व पटवारी के द्वारा किया जा सकेगा। जंगली जानवरों द्वारा मनुष्यों और घरेलू पशुओं के लिए होने वाले नुकसान के कारण राहत दावों के सभी मामलों को मंजूरी देने का अंतिम अधिकार हिमाचल प्रदेश में सभी जिला वन अधिकारियों के पास होगा।प्रवक्ता ने बताया कि सभी निर्धारित दरों को तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा।