पंजाब में अपने ही शीर्ष नेताओं और आम लोगों के हाथों मुंह की खाने के बाद आम आदमी पार्टी अब शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस गठबंधन का आरोप लगा कर अपनी खिसियाहट छिपाने की कोशिश कर रही है। आम आदमी पार्टी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अकाली नेता प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदुमाजरा ने कहा है कि आप के स्टेट कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिला प्रधानों के पार्टी छोडऩे और दिल्ली में कई स्कैंडलों और घोटालों के आरोप से बुरी तरह घिर चुकी आप पंजाब में अपनी सबसे बुरे दौर में है। पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए चंदुमजारा ने कहा कि 2014 में चुनाव जीतने वाले आप के आधे सांसद आज पार्टी से बाहर हो चुके हैं। आप को इससे गहरा सदमा पहुंचा है। इससे पार्टी की हताशा का आलम यह है कि इस सदमे से उबरने के लिए पार्टी नेता आज कांग्रेस और अकाली दल पर आप को हराने के लिए गठबंधन करने का हास्यास्पद आरोप लगाने लगे हैं।पंजाब के दो कट्टर विरोधियों कांग्रेस प्रधान कैप्टन अमरेंदर सिंह और पंजाब के मुखयमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गठजोड़ का बयान देकर आप ने अपनी बहुत छोटी बात कही है। इतना ही नहीं अपनी बात को साबित करने के लिए आप ने कैप्टन अमरेंद्र के मुखयमंत्री आवास पर दिए धरने को गठबंधन का ही कदम बताया है।
मुखयमंत्री के विरोधियों को दिए आतिथ्य पर ही सवाल उठाते हुए आप नेताओं ने कहा है कि धरने के दौरान कांग्रेसी नेताओं को चाय पानी पेश करने को आप ने गठबंधन से जोड़ दिया। चंदुमाजरा ने कहा कि मुखयमंत्री प्रकाश सिंह बादल की लोकतांत्रिक मूल्यों के सममान और आतिथ्य सत्कार की भावना को केजरीवाल जैसे लोग कभी भी समझ नहीं सकते।चंदुमाजरा ने कहा कि गुजरे 60 बरसों में शिरोमणि अकाली दल का कांग्रेस से कोई गठजोड़ हुआ है और न ही अगले 60 बरसों तक हो ही सकता है। कांग्रेस सिख और पंजाब विरोधी है और शिरोमणि अकाली दल पंजाब विरोधियों के साथ गठजोड़ सपने भी नहीं सोच सकता। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पर कांग्रेस के साथ गठबंधन का आरोप लगाने से पहले आप को याद रखना चाहिए कि दिल्ली में कांग्रेस ने ही आम आदमी पार्टी के साथ पहला गठबंधन किया था। असल में उस समय दोनों दल अपने अपने मतलब के लिए एक दूसरे से जुड़े। कांग्रेस का आप से गठबंधन का मकसद पूर्व मुखयमंत्री शीला दीक्षित को जेल जाने से बचाना था और आप का मकसद सत्ता में आना था। उन्होंने कहा कि आप और कांग्रेस से इसी तरह के दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार की उममीद की जा सकती है। जबकि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का चट्टान की तरह मजबूत साथ पिछले 56 बरसों का है।