President Election: अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी ने इस बार आदिवासी चेहरे पर दांव खेला है। बीजेपी की तरफ से आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा हो गई है। ऐसे इसलिए क्योंकि बीते कई महीनों में बीजेपी नेताओं ने आदिवासी वर्ग से जुड़े कईं कार्यक्रमों में शिरकत की जहां उन्होंने सीधा आदिवासी वर्ग से कई संवाद किए हैं।
आपको बता दें कि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है। यदि ये चुनाव में जीत हासिल करती हैं तो द्रौपदी देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी ऐसे में आदिवासी राष्ट्रपति कार्ड बीजेपी को सियासी तौर पर फायदा भी दिला सकता है, क्योंकि देश में 47 लोकसभा और 487 विधानसभा सीटें आदिवासी समुदाय के लिए रिजर्व हैं।
विपक्ष से पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का नाम
आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू का मुकावला विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होगा। यशवंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले है ये जनता पार्टी से लेकर जनता दल और बीजेपी के संसद रह चुके हैं। इसके आलावा ये केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं द्रौपदी मुर्मू की बात करें तो ये ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली हैं। वे आदिवासी समाज से तालुक रखती हैं। उन्हें 1997 में रायरंगपुर नगरपंचायत का कौंसिलर चुना गया था।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। लेकिन जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि इस रेस में अभी महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा था। इसमें UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी शामिल थीं। आनंदी बेन PM नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाती हैं।
एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को भारत की पहली राष्ट्रपति महिला बनाने के लिए नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'द्रौपदी मुर्मू जी ने अपना जीवन समाज की सेवा और गरीबों, दलितों के साथ-साथ हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित कर दिया है। उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है। मुझे विश्वास है कि वे हमारे देश की एक महान राष्ट्रपति होंगी।
इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू की बेटी इतिश्री ने बताया कि शाम को एक कॉल आया था वो शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का था। एक आदिवासी महिला के लिए ये पल सपने जैसा था। इतिश्री ने आगे कहा कि उन्होंने जो भी कहा हो, लेकिन मां उसके बाद चुप हो गईं। आंखों में आंसू थे, कुछ भी बोल न सकीं। थोड़ी देर बाद बस धन्यवाद कह पाईं और वो भी बहुत मुश्किल से।
इसके बाद मोदी जी ने ये जानकारी ट्वीट करके दी जिसके बाद अन्य नेताओं ने भी ट्वीट कर द्रौपदी मुर्मू की इस नए कदम की शुरुआत के लिए बधाई दी
द्रौपदी पर दांव लगाकर क्या बीजेपी को मिलेगा लाभ?
बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी चेहरे पर दांव खेलकर सियासी तौर पर अपने राजनीतिक समीकरण को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। यदि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत जातीं हैं तो 2024 के चुनाव में बीजेपी को आदिवासी बेल्ट में सियासी तौर पर फायदा मिल सकता है। अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनावों में आदिवासी वोटर्स अहम भूमिका निभा सकते है। आपको बता दें की देश में आदिवासी 8 फीसदी हैं, जिनकी कुल आबादी 10 करोड़ से अधिक हैं। ऐसे में ये समीकरण बीजेपी को भविष्य में सियासी तौर पर लाभ पहुंचा सकते हैं?