भारतीयों का एक स्पष्ट बहुमत कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन कर रहा है और उससे सहमत हैं, जिसने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लागू किए गए नियम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जो वर्दी में धार्मिक प्रतीकों के खुले प्रदर्शन पर रोक लगाते हैं। आईएएनएस सीवोटर स्नैप पोल से यह जानकारी सामने आई है। सर्वेक्षण का नमूना आकार 1,508 था। कुछ पीड़ित मुस्लिम छात्राओं ने याचिकाएं दायर की थीं, जिन्होंने तर्क दिया था कि ये नियम धार्मिक स्वतंत्रता के उनके अधिकार को प्रभावित करते हैं। इस मुद्दे पर पूरे भारत में किए गए एक सर्वेक्षण में, करीब 68 प्रतिशत लोगों ने उच्च न्यायालय के फैसले से सहमति व्यक्त की, जबकि 27 प्रतिशत के करीब असहमत थे। केवल 3.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस मामले पर उनकी कोई राय नहीं है। इस फैसले का स्वागत करने में विपक्षी दलों के मतदाता एनडीए समर्थकों की तुलना में कम उत्साही दिखाई दिए।
36 प्रतिशत से अधिक विपक्षी मतदाता उच्च न्यायालय से असहमत थे। हालांकि, इस समूह के भीतर भी, प्रत्येक 10 लोगों में से 6 ने फैसले का समर्थन किया है। एनडीए के मतदाताओं ने फैसले का कहीं अधिक समर्थन किया, हर पांच में से 4 लोगों ने फैसले का स्वागत किया है। कर्नाटक में जनवरी 2022 से शुरू हुआ कुछ स्कूलों और कॉलेजों में एक छोटे से मुद्दे के रूप में शुरू हुआ, लेकिन मामला देश-विदेशों तक तब फैल गया, जब दक्षिणपंथी समूह कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा) और बजरंग दल मैदान में कूद गए। याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और उच्च न्यायालय का फैसला सुनाए जाने के कुछ घंटों के भीतर ही उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर चुके हैं।