Wednesday, 01 May 2024

 

 

खास खबरें पंजाब कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं से ओर मजबूत हुई पार्टी मतदान को लेकर सीनियर सिटीजन्स में युवाओं जितना दिखा उत्साह संगरूर में मीत हेयर के कार्यालय का उद्घाटन पंजाब मंडी बोर्ड के सचिव अमृत कौर गिल को सेवानिवृत्ति के अवसर पर दी विदायगी पार्टी राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल के गौरव पुरस्कार-2024 प्रदान किए केवल अकाली दल है हिंदू-सिख एकता का प्रतीक: एन.के.शर्मा राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश के उत्कृष्ट उद्यमियों को सम्मानित किया चुनाव प्रचार में सुरक्षा वाहन को छोड़कर 10 से ज्यादा वाहनों के काफिले के चलने की नहीं होगी अनुमति PEC ने पीएचडी प्रोग्राम के लिए आईआईटी जम्मू के साथ MoU किया साइन जैसे चरणजीत चन्नी भदौड़ वापस नहीं आए, वैसे सुखपाल खैरा दोबारा संगरूर नहीं आएंगे: मीत हेयर एलपीयू द्वारा नेटवर्क, इंटेलिजेंस और कंप्यूटिंग पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित "द इंडियन ब्राइड" एक प्रसिद्ध कंपनी ने चंडीगढ़ में लक्जरी लाइफस्टाइल की मेजबानी की !! केरल और कोडईकनाल के जंगलों में हुई "कांगुवा" की शूटिंग पोलिंग स्टाफ तनदेही व ईमानदारी से निभाएं जिम्मेदारी: कोमल मित्तल भगवंत मान ने रोपड़ में आप उम्मीदवार मलविंदर सिंह कंग के लिए किया चुनाव प्रचार अजनाला हल्के में विरोधियों पर गरजे गुरजीत सिंह औजला स्वतंत्रता के 65 वर्ष बाद भी 18000 गांवों में नहीं थी बिजली,यहां मोदी ने की युद्धस्तर पर शुरुआत-टंडन कांग्रेस के प्रदेश सचिव व अनुबंध सफाई कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष सहित 100 लोग हुए भाजपा में शामिल मैंने हमेशा कठिन चुनौतियों का सामना किया है, यह चुनाव तो सरल है : अमरिंदर सिंह राजा वडिंग विशाल महिला सम्मलेन मौलीजागरां में प्रिया टंडन ने संजय टंडन के लिए मांगे वोट स्वतंत्रता के 65 वर्ष बाद भी 18000 गांवों में नहीं थी बिजली,यहां मोदी ने की युद्धस्तर पर शुरुआत : संजय टंडन

 

'हिजाब का अधिकार संविधान द्वारा संरक्षित': कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Trending Topics, Hijab Row, Banglore, Hijab Crisis, Karnatka High Court
Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

नई दिल्ली , 15 Mar 2022

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से दो मुस्लिम स्टूडेंट्स मनन और नीबा नाज द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता बड़ी ही नम्रतापूर्वक यह प्रस्तुत करते हैं कि उच्च न्यायालय ने धर्म की स्वतंत्रता और अंतरात्मा की स्वतंत्रता का एक द्वंद्व पैदा करने में गलती की है, जिसमें अदालत ने निष्कर्ष निकाला है कि जो लोग धर्म का पालन करते हैं उन्हें अंतरात्मा का अधिकार नहीं हो सकता है।" याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय यह नोट करने में विफल रहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 और उसके तहत बनाए गए नियम छात्रों द्वारा पहनी जाने वाली किसी भी अनिवार्य वर्दी का प्रावधान नहीं करते हैं।

याचिका के अनुसार, "उच्च न्यायालय यह नोट करने में विफल रहा है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अंतरात्मा के अधिकार के एक भाग के रूप में संरक्षित है। यह प्रस्तुत किया गया है कि चूंकि अंतरात्मा का अधिकार अनिवार्य रूप से एक व्यक्तिगत अधिकार है, इसलिए इस तात्कालिक मामले में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 'आवश्यक धार्मिक व्यवहार परीक्षण' लागू नहीं किया जाना चाहिए था।" याचिका में आगे कहा गया है, "उच्च न्यायालय यह नोट करने में विफल रहा है कि भारतीय कानूनी प्रणाली स्पष्ट रूप से धार्मिक प्रतीकों को पहनने/साथ रखने को मान्यता देती है। यह ध्यान रखना उचित है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129, पगड़ी पहनने वाले सिखों को हेलमेट पहनने से छूट देती है।" इसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा बनाए गए नियमों का भी हवाला दिया, जिसमें सिखों को विमान में कृपाण ले जाने की अनुमति दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों के इस 'सौतेले व्यवहार' ने स्टूडेंट्स को अपने विश्वास की प्रैक्टिस से रोका है, जिसके परिणामस्वरूप अवांछित कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई है। इसमें कहा गया है, "हालांकि, उच्च न्यायालय अपने आदेश में अपने दिमाग को लागू करने में पूरी तरह से विफल रहा है और यह स्थिति की गंभीरता के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत निहित आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के मूल पहलू को समझने में असमर्थ रहा है।" उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनाए गए अपने फैसले में कहा, "हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। वर्दी का निर्धारण संवैधानिक है और छात्र इस पर आपत्ति नहीं कर सकते हैं।" मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमारा विचार है कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में कोई अनिवार्य प्रथा नहीं है। स्कूल की वर्दी का निर्धारण एक उचित प्रतिबंध है और संवैधानिक रूप से है अनुमेय है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते।"

 

Tags: Trending Topics , Hijab Row , Banglore , Hijab Crisis , Karnatka High Court

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD