पंजाब के विज्ञान, प्रौद्यौगिकी और पर्यावरण विभाग की तरफ से बायोतकनालोजी इंडस्ट्री रिर्सच असिस्टेंस कौंसिल (बी.आई.आर.ए.सी.), बायोतकनालोजी विभाग, भारत सरकार से वित्तीय सहायता के साथ पंजाब स्टेट बायोटैक कोरर्पोशन के ज़रिये अपनी तरह का पहला सेकंडरी एग्रीकल्चर इंटरप्रीन्यूरल नैटवर्क (एस.ए.ई.एन.) स्थापित किया गया है।कोरर्पोशन के डायरैक्टर और नैटवर्क प्रोजैक्ट के प्रमुख जाँचकर्ता डा. अजीत दुआ ने बताया कि खाद्य उद्योग की आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए राज्य की प्रमुख अनुसंधान संस्थाओं जैसे पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी (पी.ए.यू.), गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी (जी.एन.डी.यू.), नेशनल एग्री-फूड बायोटैकनालोजी इंस्टीट्यूट (एन.ए.बी.आई.) और सैंटर फॉर इनोवेटिव एंड अप्लाईड बायोप्रोसैसिंग (सीआईएबी) को 85 लाख रुपए से अधिक की फंडिंग के साथ दस थोड़ी मियाद के उद्योग-प्रमुख प्रोजैक्ट दिए गए हैं।अन्य अनुसंधान प्रोजेक्टों से विपरीत उद्योगों ने अनुसंधान संस्थाओं के साथ हिस्सेदारी की है और अनुसंधान के नतीजों को प्रदर्शित करने और लागू करने के लिए अपनी इकाईयों की पेशकश की है। यह प्रोजैक्ट सख़्त मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद दिए गए हैं जो कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान वर्चुअल प्लेटफार्म पर काफ़ी चुनौतीपूरन रहा। डा. दुआ ने कहा कि यह मूल्यांकन कमेटी के सहयोग और एस.ए.ई.एन. प्रोजैक्ट टीम के समर्पण के साथ संभव हो सका।विज्ञान प्रौद्यौगिकी और पर्यावरण के प्रमुख सचिव श्री अलोक शेखर ने मौजूदा हालातों में पंजाब के लिए सेकंडरी एग्रीकल्चर (कृषि) की प्राथमिक महत्ता पर ज़ोर देते हुए इस कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अनुसंधान और विकास क्षेत्र के माहिरों और राज्य के फूड प्रोसेसिंग उद्योग के दरमियान एक मज़बूत और टिकाऊ नैटवर्क स्थापित करेगा।
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बी.एस. ढिल्लों ने कोरर्पोशन और सहयोगी संस्थाओं के उद्यमियों का एक नैटवर्क बनाने और फसलों को लाभकारी बनाने की ज़रूरतों की पूर्ति करने के साथ साथ बायो अवशेष के प्रयोग के लिए किये गए प्रयास की सराहना की।एन.ए.बी.आई. के कार्यकारी डायरैक्टर और सी.आई.ए.बी. के सी.ई.ओ. डा. अमूल्या पांडा ने पंजाब सरकार के साथ हाथ मिलाने की ख़ुशी ज़ाहिर करते हुये कहा कि देश में हरित क्रांति लाने में पंजाब ने सराहनीय भूमिका निभाई है और सरकार की यह कोशिश सेकंडरी एग्रीकल्चर में नये क्रांति को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि एन.ए.बी.आई. और सीआईएबी आधुनिक बायोटैकनालौजी साधनों के प्रयोग से पंजाब के विकास में योगदान डालेंगी।डा. अलकेश कन्दोरिया ने बताया कि पहले पड़ाव में फल और सब्जियाँ और अनाज और अनाज प्रोसेसिंग सैक्टर पर ध्यान केंद्रित करते हुये नैटवर्क के अधीन मंज़ूर किये गए प्रोजेक्टों में अवशेष से पैसा कमाने, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी खाद्य और हमारे रिवायती मुरब्बा और पापड़ उद्योग की ज़रूरतों की तरफ ध्यान दिया जायेगा।डा. दुआ ने बताया कि पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर साईंस एंड तकनोलोजी के कार्यकारी डायरैक्टर डा. जतिन्दर कौर अरोड़ा की तरफ से परिकल्पना के बाद एस.ए.ई.एन. को सांझे तौर पर सचिव डी.बी.टी, भारत सरकार और मुख्य सचिव पंजाब की तरफ से साल 2018 में शुरू किया गया था। यह प्रोजैक्ट अब कोरर्पोशन के द्वारा अग्रणी एजेंसी के तौर पर लागू किया जा रहा है जिसमें एन.ए.बी.आई., सीआईएबी और बायोनैस्ट-पीयू हिस्सेदार संस्थाएं हैं। कोरर्पोशन अपना काम पंजाब बायोटैकनालौजी इनक्यूबेटर (पी.बी.टी.आई.) से कर रही है जो अपनी इस किस्म की पहली एन.ए.बी.एल प्रवानित स्टेट ऐनालिटीकल एंड कंटरैकचूअल रिर्सच एजेंसी है जो इस कार्य क्षेत्र में उद्योग, स्टार्ट-अपज़ और उद्यमियों का समर्थन कर रही है। राज्य में सेकंडरी कृषि को उत्साहित करने के लिए कोरर्पोशन, नैटवर्क संस्थाओं, हिस्सेदार संस्थाओं और पीबीटीआइ के सांझे यत्नों का बड़ा सहयोग होगा।