कोविड -19 के कठिन समय में कामकाज को और सुचारू बनाने और बेहतर तालमेल यकीनी बनाने के लिए पंजाब मंडी बोर्ड ने आज अदारे की तरफ से अपने स्तर पर ही तैयार की वीडियो काँफ्रेंसिंग मोबाइल एप ‘ क्विक’ की शुरुआत की। ‘ क्विक वीडियो कॉलिंग एप ’ के नाम के तहत तैयार की इस निवेकली एप के द्वारा केवल एक कलिक्क से ऑडियो या वीडियो कॉल की जा सकती है।आज मोहाली में पंजाब मंडी बोर्ड कंपलैक्स में इस विलक्षण मोबाइल एप को जारी करते हुये मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह ने कहा कि देश में पंजाब पहला राज्य बन गया है जिसने सरकारी स्तर पर ऐसी प्रथम दर्जे की एप विकसित की है। इस प्रयास से सरकारी कामकाज में संचार की और ज्यादा सुरक्षा को यकीनी बनाने के साथ-साथ और ज्यादा पारदर्शिता और कामकाज का तेज़ी से निपटारा किया जा सकेगा।कोविड -19 के फैलाव से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद यह और भी ज़रूरी बन जाता है कि सरकारों को अपने कामकाज, कारोबारी गतिविधियों, नीतियों पर अमल और अपने नागरिकों के लिए राहत मुहैया करवाने का कार्य जारी रखना चाहिए। कोविड से पहले सरकारें आमने-सामने बैठ कर मीटिंगें और विचार-विमर्श करती थीं और इनके पास अब वीडियो काँफ्रेंसिंग के प्रयोग से बिना कोई और विकल्प नहीं बचा जिससे कामकाज किसी तरह प्रभावित न हो और दूरगामी स्थानों पर बैठे अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूदा संदर्भ में सरगर्मियों का हिस्सा बन सकें।लाल सिंह ने कहा कि मंडीकरण सीजन-2020 के दौरान मंडी बोर्ड को कोविड के कारण पेश चुनौतियों का सामना करने और वीडियो काँफ्रेंसिंग के प्राईवेट टूल जो उस समय पर मुफ़्त मौजूद थे, का तजुर्बा अनुभव किया। उन्होंने मंडी बोर्ड के सचिव रवि भगत के निजी प्रयास की सराहना की जिन्होंने व्यापारिक टूल की राह पर मंडी बोर्ड के लिए ‘लोकल प्रोडक्ट’ के तौर पर यह निवेकली एप विकसित की जिससे प्रौद्यौगिकी के आधार पर व्यक्ति का व्यक्ति के साथ निरंतर संपर्क यकीनी बनाया जा सके।
आज लांच की नयी एप की विशेषताओं का जि़क्र करते हुये मंडी बोर्ड के सचिव ने बताया कि सरकार का सरकार के साथ वीडियो काँफ्रेंसिंग के द्वारा संचार, जो बहुत कारगर सिद्ध होगा, के साथ मंडी बोर्ड के कामकाज की बिना किसी दिक्कत से समीक्षा की जा सकती है क्योंकि इस एप के ‘ग्रुप कॉलिंग’ और ‘मीटिंग बुलाने ’ की ख़ूबियाँ शामिल हैं। श्री भगत ने बताया कि मीटिंग को कंप्यूटर या लैपटाप पर भी तबदील किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस एप का यह भी विशेष पक्ष है कि मीटिंग के दौरान हुई बातचीत को 30 दिनों तक रिकार्ड के लिए रखा जा सकता है। इसी तरह इस ग्रुप में पेशकारी को सांझा करने, मीटिंग में शामिल होने, समय की कोई सीमा न होने, एक के बाद एक अनगिनत मीटिंगें और ग्रुप मीटिंग, मीटिंग को रिकार्ड करने, सरकारी सरवर पर सुरक्षित रखने, आवाज़ को रद्द करने, स्करीन शेयर, टेक्स्ट चैट के इलावा फोटो और ऑडियो से फाइलें और सूचना में सेंध न लग सकने की विशेषताएं शामिल हैं।जि़क्रयोग्य है कि यह सेवा सभी बड़े प्लेटफार्मों पर जैसे कि विंडो, मैक ओपरेटिंग सिस्टम, ऐंडरायड और आई.ओ.एस पर उपलब्ध है जिसकी उच्च मानक की एच.डी. वीडियो और ऑडियो से है। इस एप की ख़ूबियों में ‘ग्रुप कॉलिंग’ की सुविधा भी शामिल है जिसके द्वारा कोई भी सीनियर अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी के साथ बातचीत कर सकता है। पंजाब मंडी बोर्ड की तरफ से अपने स्तर पर विकसित किया यह टूल प्राइवेसी और डाटे की सुरक्षा के लिहाज़ से मौजूद उच्च मानक की विदेशी ऐपज़ वाली ख़ूबियों के साथ लैस है। मार्च के शुरुआत के दौरान दुनिया ने शिफटों की बजाय घरों से काम करने का तजुर्बा देखा। वीडियो कॉफ्रेंसिंग जिसको पहले संचार के परिवर्तनी रास्ते के तौर पर जाना जाता था, एकदम केंद्र बिंदु बन गया और प्रभावशाली संचार का एकमात्र सुरक्षित माध्यम बन कर उभरा।हालाँकि, मौजूदा वीडियो काँफ्रेंसिंग टूलज़ के प्राइवेसी के मुद्दे इसके प्रयोग से भी कहीं अधिक हैं। कई बार तो इस संबंधी सरकार को भी सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा कि किसी भी प्लेटफार्म का असुरक्षित प्रयोग साईबर -हैकरों को मीटिंगें के विस्तार और अन्य बातचीत जैसी संवेदनशील सूचनाओं में सेंध लगाने का मौके दे सकती हैं। ऐसे टूलज़ में बातचीत या सूचनाओं तक अन्य किसी की पहुँच हो जाना इसकी सुरक्षा का सबसे कमज़ोर पक्ष है। यदि काँफ्रेेंस कॉल हैक हो जाती है तो काँफ्रेंस की वीडियो, रिकार्डिंग निगरान कैमरे में तबदील हो जाने का डर रहता है। इन सभी मुद्दों का ‘ क्विक’ एप में पूरा ध्यान रखा गया है।