श्रीनगर में अलगाववादियों द्वारा आहूत मार्च को रोकने के लिए सोमवार को प्रशासन ने कर्फ्यू जैसा प्रतिबंध लगा दिया है। इस सप्ताहांत पुलवामा जिले में नागरिकों के मारे जाने के विरोध में मार्च का आह्वान किया गया है। पुलिस ने यह जानकारी दी। इस बीच जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वह शहर के सैन्य मुख्यालय तक के विरोध मार्च की अगुवाई कर रहे थे। मलिक ने समर्थकों के साथ गाव कदल से मार्च शुरू किया। जब वे मैसुमा में बादशाह चौक पहुंचे, पुलिस ने आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। अलगाववादी नेता जो गिरफ्तारी से बचने के लिए दो दिन पहले भूमिगत हो गए थे, उन्हें फिर हिरासत में ले लिया गया और मार्च को रोक दिया गया। प्रतिबंध राम मुंशीबाग, रैनवाड़ी, खानयार, नौहट्टा, एम.आर.गंज, सफा कदल इलाकों में लगाने के साथ ही मैसुमा और क्रालखुद में आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।
सेना ने रविवार को एक बयान जारी कर लोगों से मार्च में शामिल नहीं होने का आग्रह किया था। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए श्रीनगर के पुराने शहर के इलाके और अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की भारी तैनाती की गई थी। सोमवार को सभी दुकानें, सार्वजनिक परिवहन और शैक्षणिक संस्थान बंद रखे गए हैं। वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद रखा गया है। घाटी और जम्मू क्षेत्र में सोमवार को तीसरे दिन भी रेल सेवाएं बंद रहीं। पुलवामा जिले के सिर्नू गांव शनिवार को एक मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के खिलाफ हुई झड़प में सात नागरिक मारे गए थे और 35 से ज्यादा घायल हो गए थे। मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों के मारे जाने के साथ ही एक जवान शहीद हो गया था।