आखिर फांसी से कैसे बच गया यासीन मलिक?.. पढ़िए वो 4 कारण जिन्होंने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया

Thursday, 18 April 2024

 

 

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आखिर फांसी से कैसे बच गया यासीन मलिक?.. पढ़िए वो 4 कारण जिन्होंने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया

Yasin Malik , Kashmir , Jammu Kashmir Liberation Front , Jammu Kashmir Liberation Front Chairman , The Kashmir Files , Kashmir Files , NIA , National Investigation Agency , Terror Funding Case , Yasin Malik Convicted, Tihar Jail
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5 Dariya News

नई दिल्ली , 27 May 2022

अलगाववादी नेता यासीन मलिक को भले ही कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई हो लेकिन उसकी इस सजा से पूरे देश में कोई खुश नहीं है। सभी यासीन के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहे थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अब सबके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यासीन मलिक को फांसी क्यों नहीं हुई? इसके पीछे बहुत से कारण है.. आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे कि किन हालातों में फांसी की सजा दी जाती है और आखिर यासीन मलिक इससे कैसे बच गया। 

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यासीन मलिक के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। इतना ही नहीं कोर्ट में यासीन मलिक ने अपने सारे गुनाह भी कबूल कर लिए थे। लेकिन फिर भी फांसी नहीं नहीं मिली। इसके पीछे पहला कारण ये है- यासीन मलिक ने कोर्ट के सामने कहा कि उसके ऊपर जो धाराएं लगीं उसमें कहा गया था कि 1990 और 2000 के दौरान वह लगातार सक्रिय था। अगर ऐसा था तो उसे तब क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया। यासीन मलिक ने अपने बचाव में कहा कि वह एक राजनीतिक दल चलाता और पूर्व में कई प्रधानमंत्री उनसे मिल चुके हैं।

दूसरा कारण- भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। जिस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही देना चाहिए। उम्र कैद नियम है जबकि मृत्युदंड अपवाद। जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई। साफ शब्दों में कहें तो फांसी केवल बहुत खास मामलों में ही दी जाती है। कोर्ट ने यासीन मालिक के केस को दुर्लभ मामलों में नहीं रखा। इसलिए वो फांसी से बच गया।

तीसरा कारण- यासीन मलिक कोर्ट में अपनी दलील में कहा, 1994 में हथियार छोड़ने के बाद मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाया था। तब से मैं कश्मीर में गैर हिंसक राजनीति कर रहा हूं। 28 सालों में अगर मैं कही आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं, खुफिया एजेंसी अगर ऐसा बता दे तो मैं राजनीति से भी संन्यास ले लूंगा और फांसी मंजूर कर लूंगा। मैंने 7 पूर्व प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की है। इस दलील ने भी उसकी फांसी की सजा को काफी तक कम कर दिया था।

चौथा कारण- यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा- पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे पासपोर्ट आवंटित किया और मुझे भारत ने व्याख्यान देने की अनुमति दी, क्योंकि मैं अपराधी नहीं था। NIA की दलील पर यासीन मलिक ने कहा था, 'मैं किसी चीज के लिए भीख नहीं मांगूंगा। केस कोर्ट के सामने हैं और मैंने कोर्ट के ऊपर फैसला छोड़ दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यासीन मलिक ने कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी भी मांगी है। अब ये माना जा रहा है कि वह कोर्ट के इस फैसले को आगे चुनौती भी दे सकता है। फिलहाल कोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ कहा है कि यासीन मलिक को मरते दम तक जेल में रहना होगा।

 

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