आज से ठीक एक साल पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक निर्णय में उच्च मूल्य वाले नोटों को अमान्य घोषित करने का फैसला किया था, जिससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा और इस मुद्दे पर लोगों की राय बंटी हुई है। अधिकांश लोग अभी भी इसके नतीजों पर अलग-अलग राय रखते हैं। आईएएनएस ने देश भर में लोगों से बात की, जिनमें से कईयों ने काले धन पर कार्रवाई करने के इस निर्णय पर अपना समर्थन जताया, वहीं कुछ लोगों ने इसे गैर जरूरी और खतरनाक बताया।कुछ लोगों ने इसे सही तरीके से लागू नहीं करने का आरोप लगाया। कई लोगों ने कहा कि इस निर्णय के बाद लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा।दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली एक शिक्षिका ने आईएएनएस को बताया, "मैं नोटबंदी का समर्थन करती हूं, लेकिन यह सही तरीके से लागू नहीं किया गया था। इससे छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ। मैं नहीं जानती कैसे, लेकिन लोगों को नोटबंदी से काफी नुकसान हुआ।"
पूर्वी दिल्ली के एक खुदरा व्यापारी अमित गुप्ता ने कहा कि नोटबंदी का पहल अच्छा था, और इससे काला और सफेद धन खुले तौर पर सामने आ गया और जवाबदेही बन गई।पश्चिमी दिल्ली में रहने वाली एक फ्रीलांसर हिया ने नोटबंदी को 'तबाही' बताया।हिया ने कहा, "यह काफी बुरे तरीके से लागू की गई योजना थी। हो सकता है कि इरादा सही हो, लेकिन इससे हमें काफी कठिनाई हुई, हमें कई दिनों तक बिना पैसों के रहना पड़ा।"चंडीगढ़ में एक बीपीओ में काम करने वाली कमलजीत कौर ने कहा, "इस पहल के पीछे सरकार की मंशा के बारे में पता लगाना संभव नहीं है। मोदी ने कहा था कि इससे काला धन, भ्रष्टाचार, और आतंकवाद पर अंकुश लगेगा। क्या हमने सामने से कुछ पाया? अगर पाया तो, क्या आप हमें बता सकते हैं, क्या और कैसे?"ओडिशा में कृषि उत्पादों की दुकान चलाने वाले सुरेन स्वैन ने कहा कि नोटबंदी के कारण उनका कारोबार बर्बाद हो गया।शिमला के खुदरा कारोबारी मनोज रावत ने कहा कि उन्हें काफी नुकसान हुआ। उसके बाद किसी ने लाभ नहीं देखा।आंध्र प्रदेश के एक खुदरा कारोबारी, आदित्य रेड्डी ने कहा कि वह अभी भी चेक जैसे गैर नगदी माध्यम का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन ई-वालेट्स का उपयोग नहीं किया।