हरियाणा व पंजाब के राज्यपाल और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक प्रो० कप्तान सिंह सोलंकी ने कलाकारों का आह्वान किया है कि वे भारतीय संस्कृति को पुनः स्थापित करने के लिए अथक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि एक हजार सालों की पराधीनता के समय भारत की सोच व पहचान को मिटाने की कोशिश की गई, अतः उसे फिर से हासिल करना हमारा कत्र्तव्य है। प्रो0 सोलंकी स्थानीय पंजाब कला भवन में दूसरे छह दिवसीय टी.एफ.टी. संस्कार भारती राष्ट्रीय नाट्य समारोह के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।राज्यपाल ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को हमें जो आजादी मिली थी वह केवल राजनैतिक थी। अब सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त करने की जरूरत है। संस्कार भारती और टी.एफ.टी. जैसी संस्थाए इस काम में सराहनीय योगदान कर रही हैं। इस नाट्य समारोह में देशभर से आए कलाकारों का चण्डीगढ में स्वागत करते हुए प्रो0 सोलंकी ने कहा कि चण्डीगढ का सौभाग्य है कि यहां छह दिनों तक अनुकरणीय संदेश देने वाले नाटक देखने को मिलेंगे।
उद्घाटन अवसर पर प्रस्तुत नाटक ‘गाथा आनन्दपुर साहिब की’ पर टिप्पणी करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारत के महापुरूषों और गुरूओं की परम्परा धन्य है जिनके कारण आज का भारत अस्तित्व में है। उन्होंने गुरूओं द्वारा देश व धर्म की रक्षा के लिए किए गए त्याग और बलिदानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि हम उनके भारत को कभी भी न मिटने देने का प्रण लें। उन्होंने कहा कि इस नाटक का मंचन अत्यन्त आकर्षक और प्रेरणादायी है। इसने न केवल मन को छुआ है बल्कि बुद्धि को संस्कारित करते हुए आत्मा तक को तरंगित किया है। उन्होंने कलाकारों के अभिनय और नाटक के निर्देषक सुदेष षर्मा के काम की सराहना की। नाटक में चण्डीगढ की पूर्व मेयर हरजिन्दर कौर ने प्रोफेसर की भूमिका निभाई। राज्यपाल ने सब कलाकारों को सम्मानित भी किया।इससे पहले संस्कार भारती के संरक्षरक श्री योगेन्द्र बाबा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।