महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने केंद्र की मुद्रा योजना और स्टैंडअप इंडिया का जिक्र करते हुए दावोस में कहा कि भारत में 320 मिलियन का ऋण लेने वालों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। देश में 80 मिलियन महिलाएं हैं, जो अकेले करीब 32 बिलियन डॉलर के क्रेडिट को संभालती हैं।
'आर्थिक सुधार के लिए लैंगिक समानता' पर एक सत्र में, केंद्र द्वारा महिलाओं के सामाजिक आर्थिक कल्याण के लिए किए गए उपायों को साझा करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्र द्वारा मुद्रा योजना और स्टैंडअप इंडिया से महिलाओं की उद्यमशीलता की क्षमता को उजागर करने और जीवन को आसान बनाने में भी मदद मिली है।
ईरानी ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक-2023 से इतर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और परामर्शक कंपनी डेलॉयट के नाश्ते पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए कहा, हम उद्योग और हर दूसरे हितधारक के साथ मिलकर काम करने में विश्वास करते हैं।
ईरानी ने यह भी कहा कि भारत, आयुष्मान भारत के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली चलाता है। इसके तहत 10 करोड़ परिवार आते हैं।उन्होंने कहा कि यह भौगोलिक सीमाओं के पार स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इस योजना से महिलाओं को काफी फायदा हुआ है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर पुरुष इस साझेदारी के शीर्ष पर हैं, तो चीजें बदल जाती हैं। भारत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के लिए शौचालय बनाने की शुरूआत की। उन्होंने भारत को पहला मासिक धर्म स्वच्छता प्रशासनिक प्रोटोकॉल भी दिया, वह भारत के पहले पीएम हैं जिन्होंने भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में लड़कियों और महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों को 1 रुपये में उपलब्ध कराने के बारे में बात की है।
उन्होंने प्रधानमन्त्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा, वह भारत में पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने संसद के दोनों सदनों में महिलाओं के लिए 24 सप्ताह में गर्भावस्था की चिकित्सा सुविधा, भारतीय राजनीति में किसी अन्य के मुकाबले बिना किसी विवाद या शोर-शराबे के पारित की, वे ये बदलाव लाए हैं।
ईरानी ने ये जानकारी दी कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में यह सामने आया है कि अधिक महिलाएं उद्यमिता की ओर रुख कर रही हैं। मुद्रा ऋण और स्टैंडअप इंडिया कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि यह केवल महिलाओं के लिए है।
वित्तीय दुनिया में लोगों को जो आश्चर्य हुआ वह यह था कि दिए गए 320 मिलियन (मुद्रा) ऋणों में से 70 प्रतिशत महिलाओं द्वारा लिए गए थे।जिसका अर्थ है, कि एक उद्यम के क्षेत्र में महिलाओं में प्रतिभा है। मुद्रा योजना एक ऐसी योजना है जो भावी उद्यमियों के लिए बिना किसी संपाश्र्विक के पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
ईरानी ने कहा कि सरकार ने मझौले उद्योगों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने का जब फैसला किया और स्टैंड-अप इंडिया आया। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि 80 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं होंगी, जिसका मतलब है कि दुनिया में जो स्किलिंग और री-स्किलिंग के बारे में बात कर रही है, यह एक छिपी हुई प्रतिभा थी, जिसे पहचाना नहीं गया था।
यह सामाजिक रूप से सशक्त है और यह सभ्यता की ²ष्टि से लाभकारी है। ईरानी ने उन महिलाओं पर भी प्रकाश डाला जो लगन से काम करती हैं लेकिन बिना पहचान के चली जाती हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 1.5 मिलियन महिलाएं हैं जो जमीनी स्तर पर कार्यालय से जुड़ी हैं।
उदाहरण के तौर पर पंचायत स्तर पर जो काम करतीं हैं। ये वे महिलाएं हैं जो उन मुद्दों पर पैसा खर्च करती हैं जो महिलाओं के साथ-साथ समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं - बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा। जिन्हें नोटिस भी नहीं किया जाता।आज भारत में 80 मिलियन महिलाएं हैं, जो गठबंधन के रूप में अकेले करीब 32 बिलियन डॉलर के क्रेडिट को संभालती हैं। वे डिजिटल और शारीरिक रूप से खुद को कुशल बनाती हैं, वे कृषि शिल्प की आपूर्ति श्रृंखला का एक हिस्सा हैं।