लोकसभा में बुधवार को पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया कि आने वाले समय में फ्लेक्सी फेयर पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। 9 सितंबर 2016 से राजधानी, दुरंतो और शताब्दी रेलगाड़ियों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू किया गया था।
इस प्रणाली के तहत निर्धारित अधिकतम सीमा के आधीन बिक्री की जाने वाली प्रत्येक 10 प्रतिशत बर्थ के साथ मूल किराया 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। रेल मंत्री के मुताबिक यह देखा गया कि कोविड से पहले की अवधि के दौरान गैर फ्लेक्सी किराया अवधि की तुलना में जिन गाड़ियों में फ्लेक्सी प्राइस सिस्टम लागू किया गया था उसमें यात्रियों की संख्या के साथ-साथ आमदनी में भी वृद्धि हुई है।
इसलिए वर्तमान में फ्लेक्सी किराया नीति को बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा को एक लिखित जवाब में कहा कि रेलवे और एयरलाइंस ट्रांसपोर्टेशन के दो अलग माध्यम हैं, इनकी तुलना करना ठीक नहीं है।
रेलवे ने भी कुछ ट्रेनों में एयरलाइंस जैसे फ्लेक्सी फेयर सुविधा लागू की है, लेकिन किराया बढ़ाने की भी एक सीमा है। रेलमंत्री सदन में उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें पूछा गया था कि क्या रेलवे ने अपने कुछ प्रीमियम क्लास के हाई स्पीड ट्रेन में सर्ज प्राइस को लागू किया है और क्या इससे यात्री रेलवे के बजाए फ्लाइट से सफर करने लगेंगे।
रेलमंत्री ने लोकसभा को बताया कि सर्ज प्राइसिंग के नाम से कोई किराया संरचना पेश नहीं की गई है। एयरलाइन्स में किराये की अधिकतम लिमिट नहीं है जबकि रेलवे में है।