Tuesday, 26 September 2023

 

 

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एम. वेंकया नायडु ने देश में अणुवांशिक बीमारियों के भारी दबाव से निपटने के लिए निवारक उपायों पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान किया

एम. वेंकया नायडु ने कहा- थेलेसीमिया और सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम में बड़ी बाधा, इस बारे में जानकारी का अभाव है

Venkaiah Naidu, Muppavarapu Venkaiah Naidu, M Venkaiah Naidu, Vice President of India, BJP, Bharatiya Janata Party, Hyderabad
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हैदराबाद , 14 Jul 2022

उपराष्ट्रपति एम. वेंकया नायडु ने आज देश में थेलेसीमिया और सिकलसेल एनीमिया जैसी अणुवांशिक बीमारियों के भारी दबाव से निपटने के लिए निवारक उपायों की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों को अनुवांशिक बीमारियों की समय से पहचान करने और उसका प्रबंधन करने के लिए बच्चों की बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग कराने का सुझाव दिया।

आज हैदराबाद स्थित थेलेसीमिया तथा सिकलसेल सोसाइटी में दूसरे ब्लड ट्रांस्फ्यूजन यूनिट तथा एक अत्याधुनिक डायग्नॉस्टिक प्रयोगशाला का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र और स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की कि वे अनुवांशिक बीमारियों से निपटने के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों में सहयोग करें।  नायडु ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि इन अनुवांशिक बीमारियों के लिए उपलब्ध उपचार के दो विकल्प- अस्थिमज्जा प्रतिरोपण तथा नियमित तौर पर ब्लड ट्रांस्फ्यूजन करना हैं, जो कि काफी महंगे और बच्चों के लिए परेशानी भरे हैं। उपराष्ट्रपति ने थेलेसीमिया तथा सिकलसेल एनीमिया की चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

उपराष्ट्रपति आज हैदराबाद में थैलेसीमिया और सिकलसेल सोसाइटी में

उपराष्ट्रपति आज हैदराबाद स्थित थेलेसीमिया एंड सिकलसेल सोसाइटी परिसर में इस बात का उल्लेख करते हुए कि देश में हर साल करीब 10 से 15 हजार बच्चे थेलेसीमिया की अनुवांशिक बीमारी के साथ जन्म लेते हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन बीमारियों की रोकथाम और पहले से इनका पता लगाने के कार्य में सबसे बड़ी बाधा, इस बारे में जागरुकता का अभाव है। 

उन्होंने सभी हितधारकों- डॉक्टरों, अध्यापकों, सामुदायिक नेताओं, सार्वजनिक हस्तियों और मीडिया से इन दोनों बीमारियों के बारे में जागरुकता का प्रसार करने की अपील की। इन बीमारियों के रोगियों को निःशुल्क उपचार मुहैया कराने के लिए श्री नायडु ने टीएससीएस संस्थान की सराहना की और इच्छा जाहिर की कि निजी क्षेत्र इन बीमारियों की पहचान और उपचार सुविधाओं से लैस कुछ और केन्द्र स्थापित करे, खासतौर पर टीयर-2 और टीयर 3 शहरों तथा ग्रामीण इलाकों में, ताकि वहां रहने वाले लोगों को उपचार की सुविधा मिल सके।

देश में जीन विकारों को एक मुख्य स्वास्थ्य संबंधी चिंता बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनके कारण प्रभावित परिवारों को भारी आर्थिक और भावनात्मक दबाव सहना पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि देश के निम्न सामाजिक, आर्थिक वर्गों में बीटा थेलेसीमिया के जीवाणु 2.9 से 4.6 प्रतिशत तथा जनजातीय आबादी में सिकलसेल एनेमिया के 5 से 40 प्रतिशत तक जीवाणु मौजूद हैं।

 उन्होंने कहा कि इन अनुवांशिक बीमारियों की शीघ्र पहचान कर और रोगियों को परामर्श देकर ऐसे स्त्री-पुरुष के विवाह को रोका जा सकता है जो विकारयुक्त जीन्स के मौन वाहक हों और जिनसे पैदा होने वाले बच्चों में गंभीर अनुवांशिक विकार आने की संभावना हो।उपराष्ट्रपति ने कहा कि थेलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को जीवनभर नियमित तौर पर ब्लड ट्रांस्फ्यूजन कराने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने देश के युवाओं का आह्वान किया कि वे आगे आएं और जरूरतमंदों के लिए रक्तदान करें। 

उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इस बात के लिए सराहना की कि उसने थेलेसीमिया, सिकलसेल एनीमिया और अन्य प्रकार के एनीमिया की रोकथाम और प्रबंधन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए।उपराष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के बाद से देश में विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों में पर्याप्त सुधार आया है, लेकिन अभी भी सभी लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण और वहनीय स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था कायम करना एक चुनौती बनी हुई है। 

स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधन के अभाव को पूरा करने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि पीजी कोर्सेस में प्रवेश से पहले युवा चिकित्सकों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा को अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने का कम लागत वाला एक अन्य तरीका ग्रामीण इलाकों में डिजिटल माध्यम से ई-हेल्थ पहलों को बढ़ाना हो सकता है।

स्वास्थ्य पर आने वाले भारी खर्च की समस्या का जिक्र करते हुए श्री नायडु ने कहा कि इसका कम आय वाले परिवारों पर बहुत प्रतिकूल असर होता है और इसके चलते उनके गरीबी की गर्त में जाने का खतरा पैदा हो जाता है। इस बात पर जोर देते हुए कि गुणवत्तापूर्ण वहनीय स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, श्री नायडु ने कहा कि केन्द्र, राज्यों और स्थानीय निकायों को इसे सर्वोच्च वरीयता देनी चाहिए। 

उन्होंने सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘आयुष्मान भारत’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने गरीब और दबे-कुचले परिवारों को बहुत मदद की है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण वहनीय स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों की साझा जिम्मेदारी है। उपराष्ट्रपति ने थेलेसीमिया एंड सिकलसेल सोसाइटी (टीएससीएस) के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने देश से इन बीमारियों के समूल नाश की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है। 

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन का मूल ‘शेयर एंड केयर’ है और उन्होंने हर व्यक्ति से कहा कि वे सेवाभाव और दूसरों, खासतौर से कमजोर वर्गों के लिए, चिंता के मूल्यों का विकास करें। उन्होंने कहा “गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।” इस अवसर पर श्री नायडु ने टीएससीएस के मुख्य सभागार और लघु सभागार का उद्घाटन किया।

इस कार्यक्रम में थेलेसीमिया एंड सिकलसेल सोसाइटी के अध्यक्ष श्री चंद्रकांत अग्रवाल, टीएससीएस की उपाध्यक्ष श्रीमती रत्नावली के., टीएससीएस की मुख्य चिकित्सा अनुसंधान  अधिकारी एवं सचिव डॉक्टर सुमन जैन, टीएससीएस की क्लिनिक साइकोलॉजिस्ट सुश्री अजरा फातिमा, सोसाइटी के दानकर्ता, चिकित्सक एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

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