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अमित शाह 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आज नई दिल्ली में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

हमारे सहकारिता आंदोलन की एक मज़बूत नींव तैयार हो चुकी है और इस पर एक मज़बूत इमारत बनाने का काम हमें और आने वाली पीढ़ियों को करना है

Amit Shah, Union Home Minister, BJP, Bharatiya Janata Party, National Cooperative Union of India, NCUI, Purushottam Rupala, B. L. Verma, Suresh Prabhu, Primary Agricultural Credit Societies, PACS
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नई दिल्ली , 04 Jul 2022

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आज नई दिल्ली में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। सहकारिता मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “सहकारिता से एक आत्मनिर्भर भारत और बेहतर विश्व का निर्माण”था। 

समारोह में केंद्रीय डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, सहकारिता राज्य मंत्री बी. एल. वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, सहकारिता मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश कुमार, आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी समेत देशभर में सहकारिता से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि जब हम सहकारिता के 100 वर्ष मना रहे हैं तो हमें यह याद रखना चाहिए कि अब तक हमने अच्छा काम किया है। 

उन्होंने कहा कि अनेक कमियों के बावजूद सहकारिता क्षेत्र ने आज जो मुकाम हासिल किया है उससे मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि हमारे सहकारिता आंदोलन की एक मज़बूत नींव तैयार हो चुकी है और इस पर एक मज़बूत इमारत बनाने का काम हमें और आने वाली पीढ़ियों को करना है। सहकारिता के विचार को आधुनिक समय के अनुरूप बनाकर, टेक्नोलॉजी और प्रोफेशन्लिज़्म के साथ जोड़कर इसे सौ साल और आगे ले जाने का काम करना है। 

उन्होंने कहा कि आज का दिन सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों को जागरूक करने का दिन है। ये दिन सहकारिता क्षेत्र को आधुनिक बनाकर, लोगों के बीच सहयोग और उनके योगदान को चैनलाइज़ करने, समुदायों के बीच समानता और उन्हें सह-समृद्धि का रास्ता दिखाने का दिन है। श्री अमित शाह ने कहा कि देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हमें ये संकल्प लेना है कि देश की आज़ादी के सौ वर्ष होने पर वर्ष 2047 देश में सहकारिता के शिखर का वर्ष होगा। 

उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को चरितार्थ करने के लिए सहकारिता आगे बढ़ी है। विगत 100 साल में पूरी दुनिया ने साम्यवाद और पूंजीवाद के मॉडल को अपनाया लेकिन सहकारिता का मध्यम मार्ग का मॉडल समूचे विश्व को एक नया, सफल और टिकाऊ आर्थिक मॉडल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रचलित आर्थिक मॉडल के कारण जो असंतुलित विकास हुआ, उसे सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी बनाने के लिए सहकारिता के मॉडल को लोकप्रिय बनाना होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में अपने 100-125 सालों के आंदोलन के दौरान सहकारिता ने अपना एक अलग स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में लगभग 12 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी 30 लाख से ज़्यादा सहकारी समितियों के माध्यम से सहकारिता से जुड़ी है। दुनिया की संयुक्त सहकारिता अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी सबसे बड़ी आर्थिक इकाई है और ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। 

उन्होंने कहा कि कई लोगों के मन में ग़लत धारणा है कि सहकारिता विफल रही है लेकिन उन्हें वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डालनी चाहिए जिससे ये पता चलता है कि कई देशों की जीडीपी में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि विश्व की 300 सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से अमूल, इफ़्को और कृभको के रूप में भारत की तीन समितियां भी शामिल हैं। 

उन्होंने कहा कि हमने देश में सहकारिता के प्राणक्षेत्र को बचाकर रखा है और इसके परिणामस्वरूप अमूल, इफ़्को और कृभको का मुनाफ़ा सीधा किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने का काम केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। 

उन्होंने कहा कि सहकारिता शुरूआत से ही भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व रही है और भारत ने पूरी दुनिया को सहकारिता का विचार दिया है।पूरी दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों में से 8,55,000 भारत में हैं और लगभग 13 करोड़ लोग सीधे इनसे जुड़े हैं। देश के 91 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जिनमें कोई ना कोई सहकारी समिति है। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की आज़ादी के 75वें वर्ष में केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन करके सहकारिता आंदोलन में प्राण फूंकने का काम किया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के कई क्षेत्रों में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है। 

श्री शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल करने के बावजूद ये संतुष्टि की स्थिति नहीं है। देश में 70 करोड़ लोग वंचित वर्ग में आते हैं और इन्हें देश के विकास के साथ जोड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ये 70 करोड़ लोग पिछले 70 सालों में विकास का स्वप्न देखने की स्थिति में भी नहीं थे क्योंकि पिछली सरकार गरीबी हटाओ का केवल नारा देती थीं। 

उन्होंने कहा कि इन करोड़ों लोगों का जीवनस्तर ऊपर लाए बिना, उनके खाने-पीने की चिंता किए बिना, उनके स्वास्थ्य की चिंता किए बिना इन्हें देश के आर्थिक विकास के साथ नहीं जोड़ सकते। लेकिन 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद इनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया है। आज इन लोगों को घर, बिजली, खाना, स्वास्थ्य और गैस जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज देश का हर व्यक्ति अपने आर्थिक विकास का स्वप्न देख पा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर व्यक्ति की आकांक्षाओं को बढ़ाया है और इन आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को केवल और केवल सहकारिता ही पूरा कर सकती है। स्वप्न देखने और आकांक्षाओं वाले इन 70 करोड़ लोगों का जो जनसमूह मोदी जी ने निर्मित किया है उसे सहकारिता के ज़रिए चैनलाइज़ करके सहकारी समितियों के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

श्री अमित शाह ने कहा कि आत्मनिर्भरता का अर्थ केवल तकनीक और उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना नहीं है बल्कि हर व्यक्ति के आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना भी है और जब ऐसा होगा तो देश अपने आप आत्मनिर्भर बन जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार इस विचार को आगे बढ़ा रही है। सहकारिता क्षेत्र इन 70 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को एक मंच प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना ही सहकारिता का सच्चा अर्थ है। 

कम पूंजी वाले बहुत सारे लोगों द्वारा एक साथ आकर बड़ी पूंजी के साथ एक नया उद्यम शुरू करना ही सहकारिता है और मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा करने से ये 70 करोड़ लोग आत्मनिर्भर बनेंगे। 

उन्होंने कहा कि इसे हासिल करने के लिए हमें अपने पर कठोर नियंत्रण के साथ-साथ सहकारिता के वर्तमान स्वरूप को बदलकर एक ऩए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा।देश के पहले सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने देश की 65,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) के कम्प्यूटरीकरण का निर्णय किया है जिससे PACS, ज़िला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैक और नाबार्ड ऑनलाइन हो जाएंगे जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।

 उन्होंने कहा कि PACS राज्यों का विषय है और केन्द्र ने PACS के संदर्भ में मॉडल बाय-लॉ (Model By-laws) राज्यों को उनके सुझावों के लिए भेजे हैं ताकि PACS को बहुद्देशीय और बहुआयामी बना जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इन (Model By-laws) को सहकारी समितियों को भी सुझावों के लिए भेजा जाएगा। 

उन्होंने कहा कि 25 प्रकार की गतिविधियों को PACS के साथ जोड़ा जाएगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ये उप-नियम PACS को बहुत सारे कार्य और सुविधाएं देकर गांव की गतिविधियों का केन्द्र बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि किन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार इन 70 करोड़ आकांक्षी लोगों को सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से समावेशी आर्थिक विकास का मॉडल उपलब्ध कराएगी।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों को संपन्न, समृद्ध और प्रासंगिक बनाने के लिए हरसंभव सुधार करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने यह बी कहा कि कानून केवल निगरानी कर सकता है लेकिन सहकारिता जैसे क्षेत्र को सुधारने के लिए हमें अपने आप पर कुछ नियंत्रण करने होंगे और ये नियंत्रण भावनात्मक होने चाहिएं। 

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने प्रशिक्षण के लिए एक राष्ट्रीय सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय किया है जो राष्ट्रीय सहकारी संघ के साथ जुड़कर देश के सहकारिता क्षेत्र के लोगों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी। अमित शाह ने कहा कि अमूल को ऑर्गेनिक उत्पादों की विश्वसनीयता को परखकर प्रमाणित करने का काम दिया गया है। 

अमूल अपने ब्रांड के साथ इन सारे ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को देश और दुनिया के बाजार में मार्केट में रखने का काम करेगा जिससे ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को अपने उत्पादों का कम से कम 30% अधिक दाम मिलेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने तय किया है कि दो बड़े सहकारी निर्यात हाऊस का पंजीकरण किया जाएगा जो देशभर की सहकारी संस्थाओं के प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता का ध्यान रखेंगे, इनके प्रोडक्शन चैनल को वैश्विक बाजार के अनुरूप बनाएंगे और इन उत्पादों के निर्यात का एक माध्यम बनेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इफ्को और कृभको को बीज सुधार के लिए जोड़ने का काम किया है।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार ने हाल ही में लिए गए निर्णय के तहत सहकारी समितियों को बी GEM के ज़रिए ख़रीदी करने की अनुमति दे दी है। सहकारिता मंत्रालय PACS का एक डेटाबेस भी बना रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन को सिर्फ सहकारिता के सिद्धांत ही लंबा जीवन दे सकते हैं और सहकारिता के सिद्धांतों को छोड़ना ही कुछ PACS के Defunct होने का मूल कारण है। 

उन्होंने सहकारिता क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि सहकारिता को लंबा जीवन देने, प्रासंगिक बनाने, देश के अर्थतंत्र में कंट्रीब्यूटर बनाने और इन 70 करोड आकांक्षी लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता के सिद्धांतों को आत्मसात करें।

 

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