Agnipath Scheme: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सेना में भर्ती संबंधी केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद शीर्ष अदालत के फिर से खुलने पर
अग्निपथ स्कीम के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के वकील की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई के लिए राजी हो गया। बेंच की ओर से कहा गया कि याचिक को को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।
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ये है अग्निपथ योजना
दरसअल देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ नाम की योजना शुरू करने का बड़ा ऐलान किया। यदि आप इस योजना के बारे में नहीं जानते तो आपको बता दें कि इस योजना के तहत इसमें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं को भर्ती किया जाएगा और चुने गए युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। इस साल करीब 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल करने की योजना बनाई है।
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अग्निपथ भर्ती योजना के तहत युवा 4 साल की अवधि के लिए सेना में शामिल होंगे और देश की सेवा करेंगे। चार साल के अंत में लगभग 75 फीसदी सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा और उन्हें आगे के रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों से सहायता मिलेगी। केवल 25 फीसदी जवानों को चार साल बाद भी मौका मिलेगा। हालांकि यह तभी संभव होगा जब उस समय सेना की भर्तियां निकली हों। योजना के तहत सशस्त्र बलों का युवा प्रोफाइल तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। युवाओं को नई तकनीकों के साथ ट्रेनिंग दी जाएगी।
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ऐसे में अब दायर याचिका में कहा गया है कि दो साल से एयरफोर्स में नियुक्ति का इंतजार कर रहे लोगों को आशंका है कि उनका 20 साल का करियर 4 साल में ही ख़त्म हो जाएगा। याचिका में ये भी कहा गया है कि 2017 में 70 हजार से अधिक छात्रों को ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के बाद छात्रों को आश्वासन दिया गया कि नियुक्ति पत्र राजी किया जाएगा लेकिन अब इस योजना के लाए जाने के बाद से इनका करियर पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
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पहले भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं याचिकाएं
बता दें कि अग्निपथ योजना को लेकर 20 जून को एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार की ओर से अग्निपथ योजना शुरू हो चुकी हैं 3 सेनाओं में भर्ती प्रक्रिया में भर्ती को लेकर जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई थी। इसके अलावा वकील एमएल शर्मा ने अर्जी में उन्होंने कहा कि इस मसले पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि यह सैनिकों के करियर का सवाल है। वकील ने कहा कि कई बार कोशिशों के बाद भी रजिस्ट्री विभाग की ओर से तारीख नहीं दी गई है। शर्मा ने कहा कि अदालत को 14 जून को रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन को कैंसिल करना चाहिए, जिसमें अग्निपथ स्कीम का ऐलान किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले भी याचिका दाखिल कर मांग की गई कि अग्निपथ स्कीम के परीक्षण के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कमेटी यह तय करे कि इस स्कीम का युवाओं के भविष्य और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर क्या असर होगा। अग्निपथ स्कीम के विरोध में दायर याचिकाओं को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से भी एक परिवाद दाखिल किया गया है। इसमें सरकार ने कहा कि अदालत कोई भी फैसला सुनाने से पहले इस मसले पर सरकार का पक्ष भी सुनेगी।
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शुरू हो चुकी हैं तीन सेनाओं की भर्ती
आपको बता दें की तीनों सेनाओं में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है थलसेना में भर्ती प्रक्रिया जहां 1 जुलाई से शुरू हो गई वहीं वायुसेना में इससे पहले 24 जून जबकि नौसेना में 25 जून से शुरू हो गई है।