नुपुर शर्मा विवाद एक बार फिर से तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नुपुर शर्मा से टीवी पर जाकर माफी मांगने के लिए कहा है। कोर्ट के इस निर्णय पर अयोध्या के साधु- संतों ने एतराज जताया है। कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि वे नुपुर शर्मा मामले में कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालेंगे।
राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि Nupur Sharma ने अपने तरफ से कोई बात नहीं कही है। नूपुर शर्मा ने वहीं कहा जो मुसलमानों के ग्रंथों में लिखा हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट एक तरफा फैसला न सुनाए। कोर्ट को अपने फैसले पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि Supreme Court का हम सम्मान करते हैं लेकिन एक धर्म विशेष के लोगों की ओर से समय-समय पर हिंदू देवी- देवताओं का अपमान किया जाता है। भगवान शिव पर अभद्र टिप्पणी की जाती है। उस पर कोर्ट ने कभी कोई संज्ञान नहीं लिया।
राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी ने कहा कि हिंदू समाज सक्रिय नहीं है, मुस्लिम समाज बाज की तरह नुपुर शर्मा पर टूट पड़ा है। नूपुर शर्मा ने जो बात कही है, जाकिर नाइक ने भी इसी बात को बोला है। नुपुर शर्मा ने भी उन्हीं बातों को दोहराया जो मुसलमानों के ग्रंथों में लिया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उनके ग्रंथों में लिखी बात से उनके पैगंबर का अपमान हो रहा है?
कोर्ट को पूरे मामले का संज्ञान लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। अपने धर्म का समर्थन करने वाले का गला काटकर हत्या कर दी जाती है है, उस पर कोर्ट ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं अयोध्या के तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माताओं और बहनों-बेटियों का सम्मान सबसे ऊपर है। अतीत में भी माता सीता के सम्मान की रक्षा के लिए लंका में तमाम राक्षसों का वध भगवान श्रीराम ने किया था। नुपुर शर्मा के ऊपर किसी भी तरह से दबाव न दिया जाए। उनको दोषी न ठहराया जाए। हदीस मुसलमानों का ग्रंथ है। उसमें जो बातें लिखी हैं,वह किसी हिंदू ने नहीं लिखा बल्कि मुसलमानों की ओर से लिखा गया है। नुपुर ने उन्हीं बातों को दोहराया है, अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा।