उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन एक लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से राष्ट्र के हितों को नुकसान होगा। नायडू ने लोगों से चरमपंथी प्रवृत्तियों से दूर रहने का आह्वाहन किया।
श्री नायडू ने उप-राष्ट्रपति निवास में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों से देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने का आह्वाहन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, 'घृणा और असहिष्णुता भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।'
उपराष्ट्रपति ने इस बात को दोहराया कि भारत सबसे बड़ा संपन्न संसदीय लोकतंत्र है और 'सर्व धर्म समभाव' के सिद्धांत का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के बीच एक हीन भावना उत्पन्न करने के प्रयास किए। नायडू ने छात्रों से भारत की गौरवशाली सभ्यता पर गर्व करने का अनुरोध किया।
छात्रों के विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए ऊंचा लक्ष्य रखना, कड़ी मेहनत करना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों को अपने महान नेताओं के जीवन व शिक्षाओं के बारे में पढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए उनके गुणों को अपनाने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि छात्र अधिक से अधिक भाषाओं में दक्षता प्राप्त करते हुए अपनी मातृभाषा की रक्षा करें और उसे बढ़ावा दें। उन्होंने छात्रों को स्वस्थ भोजन अभ्यासों को अपनाने और नियमित व्यायाम करने की भी सलाह दी।