Friday, 26 April 2024

 

 

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पंजाब पुलिस और बीएसएफ ने गुरदासपुर बॉर्डर के नजदीक पाकिस्तान की तरफ से आ रहे ड्रोन पर दागी गोलियां

ड्रोन की तरफ से फेंके 11 आरगेज -84 हैंड ग्रेनेड किये बरामद

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5 Dariya News

गुरदासपुर , 21 Dec 2020

अमृतसर (ग्रामीण) जिले में अंतरराष्ट्रीय संपर्क वाले एक ड्रोन मॉडयूलका पर्दाफाश करने के पाँच दिन बाद, रविवार को पंजाब पुलिस ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ मिल कर सांझे तौर पर गुरदासपुर जिले में सरहद के पास से 19 दिसंबर की रात को पाकिस्तान के एक ड्रोन द्वारा लाए गए 11 आरगेज -84 हैंड ग्रेनेड बरामद किये।हैरान कर देने वाली यह बरामदगी उस समय पर हुई जब एक पुलिस टीम 14 दिसंबर को अमृतसर (ग्रामीण) जिले के ड्रोन मॉडयूल मामलेे की जांच कर रही थी। इसी दौरान दिल्ली के दो सप्लायर /ड्रोन असैंबलरों को गिरफ्तार किया गया। इस केस से जुड़े जेल में बंद चार तस्करों समेत कुल आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।इस मामले में चार ड्रोन, एक आंशिक रूप में बनाऐ ड्रोन, वीडियो ट्रांस्मिटर सिस्टम, ड्रोन हार्डवेयर और अन्य अहम सबूत बरामद किये गए, इस मामले की जांच से ताजा ड्रोन मॉडयूल और पहले दो मॉडयूलों की कार्यवाहियों में शामिल पाकिस्तान आधारित इकाईयों के साथ अहम सम्बन्ध सामने आए हैं। आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों समेत पाकिस्तान आधारित तस्करों से जुड़े मुलजिमों के गठजोड़ का पर्दाफाश करने के लिए अन्य तकनीकी विश्लेषण और जांच जारी है।शनिवार रात को घटी इस हैरान कर देने वाली घटना का विवरण देते हुये डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि गुरदासपुर जिले में भारत -पाक सरहद पार से ड्रोन की हरकत संबंधी बीएसएफ को सूचना मिलने के उपरांत पंजाब पुलिस ने जांच मुहिम शुरू की। गुरदासपुर सैक्टर के बीओपी चकरी में तैनात बीएसएफ के जवानों ने रात करीब 11.30 बजे एक पाक ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में दाखिल होते देखा और बीएसएफ के जवानों ने तुरंत ड्रोन को नीचे फेंकने की कोशिश में कई गोलियाँ चलाईं।उसी समय बीएसएफ के जवानों ने गुरदासपुर पुलिस को घटना के बारे बताया और एसएचओ थाना दोरांगला तुरंत मौके पर पहुँचे और ड्रोन को काबू करने के लिए पुलिस को तैनात किया। ड्रोन की गूँजती आवाज सुनते ही पुलिस मुलाजिमों ने ए.के. 47 और एसएलआर राईफलज़ के साथ ड्रोन को फेंकने के लिए गोलियां दागी परन्तु ड्रोन जल्दी ही गायब हो गया।रविवार प्रातःकाल इस क्षेत्र में जांच अभियान चलाया गया, जिससे थाना दोरंगला के क्षेत्र में गाँव धुस्सी बंध के नजदीक 11 आरगेस -84 हैंड ग्रेनेड वाला एक प्लास्टिक का डिब्बा बरामद हुआ। हैंड ग्रेनेडों का डिब्बा एक लकड़ी के फ्रेम के साथ जुड़ा हुआ था और नाईलोन की रस्सी के साथ ड्रोन से नीचे जमीन की तरफ फेंका गया था।डीजीपी ने कहा कि आस्ट्रिया के बने यह अरगेस टाईप एच जी 84 सीरीज के मनुष्य के लिए घातक हैंड ग्रेनेड हैं जो एक रिवायती हैंड ग्रेनेड प्रणाली के साथ लैस हैं जो एक धमाके पर तेज रफ्तार के साथ 30 मीटर की दूरी के लक्ष्य को भारी नुकसान पहुँचाने के लिए बनाऐ गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि हालाँकि ड्रोन बरामद नहीं हुआ परन्तु यह शक जाहिर किया जा रहा है कि इस बरामदी विस्फोटक सामग्री को फैंक कर वापस पाकिस्तान जाने में सफल हो गया।

श्री गुप्ता ने बताया कि इस सम्बन्धी एफआईआर नं. 159 तारीख 20/12/20 को थाना दोरांगला, जिला गुरदासपुर में विस्फोटक पदार्थ एक्ट की धारा 3, 4, 5 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है और अगली जांच जारी है।इसी दौरान, 14 दिसंबर वाले ड्रोन मॉडयूल मामलेे की जांच के साथ लक्की धवन पुत्र तिलक राज धवन निवासी बी.बी. 28 डी, डेरी सब्जी मंडी, जनकपुरी, दिल्ली को गिरफ्तार किया गया, जिससे मुख्य दोषी लखबीर सिंह ने क्वाडकौपटर ड्रोन समेत स्काईडरायड टी 10 2.4जीएचजैड 10 सी एच एफएच एस एस ट्रांसमिटर के साथ मिनी रिसीवर और कैमरा खरीदा था। डीजीपी ने आगे बताया कि 19 दिसंबर को एएसपी (यूटी) के एसएचओ थाना घरिंडा, मनिन्दर सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम द्वारा धवन के टीआरडी इंटरप्राईजज, बी.बी. - 28 डी, जनकपुरी, नयी दिल्ली में छापा मारा गया।धवन की पूछताछ से पता लगा कि वह बिना किसी सरकारी अधिकारित या ड्रोन के लायसेंस और ड्रोन के हिस्सों की खरीद, बिक्री, असैंबल करने और मुरम्मत करने में शामिल था। उसके स्थान से चारों मोबाइल फोन, 13 रबड़ स्टैंपें और रसीदों वाली 2 फाइलें भी बरादम की गई।लक्की धवन ने आगे खुलासा किया कि उसने सरकारी आदेशों के अनुसार जरुरी बिना किसी औपचारिक दस्तावेज या बिलिंग के लखबीर सिंह को क्वाडकाप्पटर ड्रोन और स्काईडरायड टी सिस्टम सप्लाई किया था। लखबीर सिंह ने धोखाधड़ी के साथ ड्रोन खरीदने के लिए अरशदीप सिंह नामी व्यक्ति के नाम पर जाली आधार कार्ड भी बनाया था। बरामद किये गए लक्की धवन के मोबाइल फोन में से इलैक्ट्रॉनिकस तौर पर बनाया जाली आधार कार्ड भी बरामद किया गया। उसके विरुद्ध भारतीय दंडवली की धाराओं 465, 467, 468, 471, 473, 420 के अधीन केस दर्ज किया गया है।श्री दिनकर गुप्ता के मुताबिक लक्की धवन ने आगे खुलासा करते हुये बताया कि लखबीर सिंह को सप्लाई किये गए ड्रोन को दिल्ली के मेहरगंज की तीसरी मंजिल, ए -62 के रहने वाले बलदेव सिंह पुत्र हरिन्दर सिंह की तरफ से तैयार किया गया था। इसके बाद थाना घरिंडा की पुलिस पार्टी ने मेहरगंज में बलदेव सिंह की वर्कशाप पर छापा मारा, जहाँ से उसको गिरफ्तार कर लिया गया। जांच करने पर वर्कशाप में से 4 ड्रोन और ड्रोन हार्डवेयर -एक 450 कुआडकाप्पटर ड्रोन, 1 डी.जे.आई फैंटम ड्रोन, 2 डी.जे.आई. 249 मैविक मिनी ड्रोन, 1 वीडियो ट्रांसमिटर सिस्टम, एक 650 कुआडकापटर ड्रोन रिपेयर किट और 1 मोबाइल फोन बरामद हुए।बलदेव सिंह ने जानकारी देते हुये बताया कि उसने अलग-अलग ई-कामर्स साईटों जैसे ऐमाजान और इंडियामार्ट से ड्रोन के कल-पुर्जे खरीदे थे। फिर उसने अपनी वर्कशाप को ड्रोन की मुरम्मत और असैंबल करने के साथ साथ लाभ कमाने के उद्देश्य के लिए अलग कीमतों पर ड्रोन बेचने के लिए इस्तेमाल करता रहा। ऐसी सारी खरीद-फरोख्त के लेन-देन की डी.जी.सी.ए. की तरफ से निर्धारित नियमों ट्रांजैकशन दस्तावेजों से बगैर सभ्यक रूप में बिलिंग की जाती थी। 

डी.जी.पी ने आगे कहा कि बलदेव सिंह के पास ड्रोन और ड्रोन के पुर्जे खरीदने और बेचने का कारोबार चलाने के लिए कोई सरकारी अधिकार नहीं था, टी.आर.डी ऐंटरप्राईजज के मालिक लक्की धवन का मामला भी ऐसा ही था।श्री गुप्ता के अनुसार उक्त डी.जी.सी.ए. नियमों का उल्लंघन करने के इलावा बलदेव सिंह की तरफ से ड्रोन उत्पादन -कर्ताओं की तरफ से रख -रखाव लिए तकनीकी जरूरतों के प्रबंधों की भी उल्लंघना की थी क्योंकि ड्रोन स्थानीय तौर पर तैयार किया गया था। डी.जी.सी.ए. नियमों में दर्शाया गया है कि खरीदे गए ड्रोन डी.जी.सी.ए. के पास रजिस्टर्ड करवाने और अर्जी देकर विशेष पहचान नंबर (यू.आई.एन) प्राप्त करना लाजिमी है जिसकी पालना लखबीर सिंह और बचित्तर सिंह ने नहीं की थी। इसलिए किसी सरकारी एजेंसी की तरफ से ड्रोन पर नजर नहीं रखी जा सकती थी।दोनों दोषी लक्की धवन और बलदेव सिंह पर एयरकराफट एक्ट की धारा 10, 11, 12, आइपीसी की धारा 336, 287 के अंतर्गत थाना घरिंडा में तारीख 14 दिसंबर को ड्रोन मॉडयूल मामलेे में एफ.आई.आर नं. 202 के द्वारा मामला दर्ज किया गया था।लखबीर सिंह ने यह भी जानकारी दी कि वह भिक्खीविंड, तरन तारन से सेकिंड हैड वाहनों की धोखाधड़ी में भी शामिल था और उनके चैसी नंबर में हेरा-फेरी करके जाली दस्तावेज तैयार करता था जिससे मुनाफे पर वाहनों को बेचा जा सके। लखबीर सिंह के खुलासे के बाद एक सफेद स्कारपीओ, जिसका नंबर एचआर 35 एम 3709 और पीबी 10 एफ एक्स 5996 नंबर वाली एक काली स्कारपीओ और एच आर 29 एएम 6672 नंबर की एक सफेद स्विफट भी बरामद हुई है।इसके इलावा अजनाला स्थित चार तस्कर, जो अमृतसर जेल में से लखबीर सिंह के संपर्क में आए थे, हरजीत सिंह पुत्र पूरन सिंह निवासी गाँव फत्तेवाल, थाना अजनाला, सरबजीत सिंह पुच्छर पूरन सिंह वासी गाँव फत्तेवाल, थाना अजनाला, सिमरनजीत सिंह पुत्र सलविन्दर सिंह वासी गाँव साहोवाल, थाना अजनाला और सुरजीत मसीह पुत्र बलविन्दर सिंह वासी गाँव गुराला थाना अजनाला को भी इस केस में नामजद करके गिरफतार किया गया है। अमृतसर (ग्रामीण) पुलिस की तरफ से सूचना के आधार पर उनके कब्जे में से चार मोबाइल फोन बरामद किये गए हैं।अगली जांच में पाकिस्तान की तीन प्रमुख व्यक्ति चिश्ती, मलिक और मकसूद के नाम सामने आए हैं जो गिरफ्तार किये गए दोषियों के संपर्क में थे। चिश्ती सितम्बर 2019 में पंजाब पुलिस द्वारा सुलझाए अकाशदीप ड्रोन मॉडयूल मामले में गिरफ्तार किये गए दोषियों के साथ भी नजदीकी संपर्क में था। इसके इलावा मलिक जनवरी 2020 में पंजाब पुलिस द्वारा सुलझाए ड्रोन मॉडयूल मामले में गिरफ्तार किये गए दोषी अजयपाल सिंह के संपर्क में था।दिल्ली के जनकपुरी में टी.आर.डी. ऐंटरप्राईजज के दफ्तर से बरामद किये गए दस्तावेजों और फाइलों की पंजाब और अन्य राज्यों को ड्रोन और ड्रोन हार्डवेयर की सप्लाई और खरीदों का पता लगाने के लिए अच्छी तरह जांच की जा रही है और डी.जी.सी.ए. नियमों और एयरक्राफट एक्ट की अन्य संभावित उल्लंघन का जायजा भी लिया गया है। इसके साथ ही सरहदी राज्य में अन्य गैर -कानूनी ढंग के साथ खरीदे ड्रोनों की पहचान करने को भी अमल में लाया गया है।

 

Tags: Crime News Punjab , Punjab Police , Police , Crime News , Gurdaspur , Border Security Force , BSF

 

 

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