पंजाब सरकार की ओर से खोले गए ओट सैंटर नौजवानों को नशे के दलदल से निकालने में सहायक साबित हो रहे हैं। ओट सैंटर में आने वाले मरीज की सबसे पहले कौंसलिंग करके उसकी इच्छा शक्ति को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है और उसकी हिस्ट्री लेने के बाद उसका इलाज शुरु किया जाता है। इस संबंधी जानकारी देते हुए श्रीमती ईशा कालिया ने बताया कि जिले में 9 ओट सैंटर चल रहे हैं और इन सैंटरों में नशा करने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है, ताकि वे आम जिंदगी व्यतीत कर सकें। उन्होंने बताया कि जो भी नशा पीडि़त एक बार नशे से तौबा कर लेता है, वह लगातार दवाई लेने आ रहा है क्योंकि जो दवाई ओट सैंटर रोजाना आ कर खानी पड़ती है। ईशा कालिया ने बताया कि नशा छुड़ाओ केंद्र व पुर्नवास केंद्र में जिला स्तर का ओट सैंटर चल रहा है, जबकि सब-डिविजन अस्पताल में गढ़शंकर, मुकेरियां, दसूहा व कम्यूनिटी हैल्थ सैंटर में टांडा, भूंगा, हाजीपुर, बुड्डाबढ़ व चब्बेवाल में ओट सैंटर चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि नशा कोई रोग नहीं बस एक मन का वहम है, जिसको दृढ़ इरादे के साथ ही छोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई बार कौंसलिंग के दौरान मरीज ऐसे प्रकटावे करता है, जो उसको इस अंधेरी जिंदगी में जाने के कारण बनते हैं।
ऐसे मरीजों को हमारी हमदर्दी व ध्यान की ज्यादा जरुरत होती है और वह हमारे हमर्ददाना व्यवहार के बाद इस अंधेरी जिंदगी तो तिलांजलि देकर मुख्य धारा की तरफ आ जाते हैं। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि जिले में चल रहे ओट सैंटरों में करीब 386 मरीज रोजाना आ रहे हैं। इसके अलावा जनवरी तक 964 मरीजों की ओर से रजिस्ट्रेशन करवाई जा चुकी है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि पंजाब सरकार की नशे के खिलाफ मुहिम में हर व्यक्ति का योगदान बहुत जरुरी है, क्योंकि एकजुटता के साथ ही समाज को नशा मुक्त बनाया जा सकता है। ओट सैंटर में पिछले 4 महीनों से आ रहे एक 30 वर्षीय नौजवान ने बताया कि वह सदा के लिए नशे की आदत त्याग देगा, क्योंकि अब उसको नशे की तलब नहीं लग रही। उसने बताया कि नशे के कारण उसका परिवार बहुत ही परेशान था, पर अब परिवार के सभी सदस्य उसको पहले से ज्यादा महत्व दे रहे हैं। नशा छुड़ाओ व पुर्नवास केंद्र के नोडर अधिकारी डा. सतपाल गोजरा ने बताया कि ओट सैंटरों में मरीजों की कौंसलिंग करने के उपरांत उनकी इच्छा शक्ति मजबूत की जाती है। उसके बाद जरुरी दवाई दी जा रही है।