सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित की गई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने बैठक की अध्यक्षता की। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री विजय सांपला और श्री रामदास अठावले भी उपस्थित थे। बैठक का विषय था- ‘अनुसूचित जातियों और दिव्यांगजनों के लिए नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप’।अपने भाषण में श्री कृष्णपाल गुर्जर ने सदस्यों को बताया कि नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप नामक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना का लक्ष्य अनुसूचित जातियों, डि-नोटिफाइड नोमेडिक और सेमी-नोमेडिक जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारम्परिक कारीगरों की श्रेणी से संबंधित निम्न आय वाले परिवारों के छात्रों को विदेश में पढ़ाई कराकर स्नातकोत्तर डिग्री अथवा पीएचडी डिग्री जैसी उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए सुविधा प्रदान करना है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो।
कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृति योजना वर्ष 1954-55 से लागू है। इसके तहत अभियंत्रण और प्रबंधन, शुद्ध विज्ञान एवं प्रयुक्त विज्ञान, कृषि विज्ञान एवं औषधि, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य, लेखा एवं वित्त एवं मानव अध्ययन और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों और पीएचडी की पढ़ाई करने के लिए उच्चतर अध्ययन हेतु लक्षित जनसंख्या के चयनित उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता दी जाती है।श्री गुर्जर ने कहा कि वर्ष 2014-15 में दिव्यांगजनों के लिए ओवरसीज स्कॉलरशिप योजना शुरू की गई थी। 1 अप्रैल, 2018 से, मानव अध्ययन, विज्ञान अथवा वाणिज्य जैसे उनके वर्गों के आधार पर दिव्यांगजनों को ओवरसीज स्कॉलरशिप दी जा रही है, न कि उनके विषयों के आधार पर, जिससे अधिकांश छात्रों को ओवरसीज स्कॉलरशिप दी जा सके।सलाहकार समिति के बैठक में शामिल होने वाले संसद सदस्यों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए। इनमें शामिल हैं- श्री के.एच. मुनियप्पा, श्री नागेशगोडाम, श्री वीरेन्द्र कश्यप (सभी लोकसभा) और श्री के. सोमाप्रसाद, डॉ. एल. हनुमंतैया और महंत शंभुप्रसादजी टुंडिया (सभी राज्यसभा)। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव नीलम साहनी, दिव्यांगजन अधिकारिता विभाग में सचिव श्रीमती शकुंतला डी. गेमलीन और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।