अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि भारत और अमेरिका अगर साथ मिलकर काम करें तो ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो सके। उन्होंने यह बात पेरिस जलवायु समझौते का जिक्र करते हुए और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना करते हुए कही। यहां हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप सम्मेलन को शुक्रवार को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, "अगर भारत और अमेरिका एक साथ काम कर रहे हैं तो मेरा मानना है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हम समाधान नहीं कर सकते।"उनका कहना था कि दोनों देशों में बहुत कुछ समान है। ओबामा ने कहा, "इसीलिए मेरा हमेशा यह मानना रहा है कि अमेरिका और भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध में बहुत ताकत है। मेरा विश्वास है कि दुनिया की सबसे पुराने लोकतंत्र और सबसे बड़े लोकतंत्र की साझेदारी 21वीं सदी की मांग है।"
उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र खुद सवालों के घेरे में है तब यह साझेदारी बेहतर भविष्य की दिशा तय कर सकती है।ओबामा का कहना था कि वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी के विकास, आतंकवाद, बढ़ती असमानता और तेजी से परिवर्तनगामी जलवायु से न सिर्फ परिवारों की नींव हिल चुकी है बल्कि इनसे हमारी सामूहिक राजनीति व संस्थाएं भी प्रभावित हुई हैं।उन्होंने कहा कि हालांकि आज की दुनिया मानव इतिहास के अधिकांश समय की तुलना में कम हिंसक है, फिर भी पुराने जमाने के विभाजनकारी तत्व सक्रिय हैं और नए झगड़े पैदा हो रहे हैं जिनमें निर्दोष लोगों की हत्याएं हो रही हैं।उन्होंने कहा कि अनिश्चिता के इस दौर में देशों को 'हम बनाम वे' की राजनीति को छोड़कर उसके बदले समानता का आलिंगन करना चाहिए। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जो अपने कार्यकाल के दौरान दो बार भारत दौरे पर आए थे।
ओबामा ने भारत और अमेरिका में समानता का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश औपनिवेशिक दासता से आजाद हुए हैं और दोनों के संविधान तीन शब्द 'वी द पीपॅल' से आरंभ होते हैं। उन्होंने भारत और अमेरिका के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों में बहुलतावाद, सहिष्णुता, खुलापन व कानून का शासन और बाजार आधारित उदारवादी अर्थव्यवस्था हैं जिनमें अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता समेत लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों को प्रमुखता दी गई है।ओबामा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी नौ बार मुलाकात हुई है जोकि अपूर्व है। उनका कहना था कि इन मुलाकातों की वजह यह है कि दुनिया की प्रमुख चुनौतयों का समाधान तभी संभव होगा जब भारत न सिर्फ एशिया-प्रशांत क्षेत्र बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी बड़ी भूमिका निभाता रहेगा।ओबामा का कहना था कि अमेरिका और भारत शक्तिशाली होने पर भी अकेले समस्यओं का निदान नहीं कर सकते हैं।