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जल्लीकट्ट को लेकर विरोध प्रदर्शन बदलाव के लिए : अंबुमणि रामदास

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5 Dariya News

चेन्नई , 21 Jan 2017

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने कहा है कि चाहे इसे किसी नाम से पुकारें, लेकिन जल्लीकट्ट पर प्रतिबंध के खिलाफ तमिलनाडु के युवाओं-छात्रों और पेशेवरों के विरोध प्रदर्शनों का हाल के दिनों में कोई मुकाबला नहीं है। विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक नेतृत्व से मोहभंग होने पर तमिलनाडु के युवाओं ने नम्मुकु नाम्मे विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।रामदास ने शुक्रवार रात नई दिल्ली से आईएएनएस को कहा, "यद्यपि तिरुनेलवेली जिले में कुडनकुलम के लोगों ने कई दिनों तक भूख हड़ताल की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों का एक नेता था। जल्लीकट्ट को लेकर विरोध प्रदर्शन के मामले में इस तरह का कोई घोषित नेतृत्व नहीं था।"
उन्होंने आगे कहा कि दो साल पहले 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' ने इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन उसके पास भी एक नेता था और देश के विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन किए गए थे।विरोध प्रदर्शनों से राजनीतिक नेताओं को दूर रखने के सवाल पर रामदास ने कहा, "मैं इस तरह की शुरुआत से खुश हूं, यद्यपि मैं खुद एक राजनीतिज्ञ हूं।"रामदास ने आगे कहा, "विगत दो वर्षो से मैं इस तरह के एक आन्दोलन के बारे में बातें कर रहा था और अंतत: यह हो रहा है। यद्यपि मैं एक राजनीतिज्ञ हूं और प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिज्ञों को अलग रखा है, यह एक अच्छी शुरुआत है।"
पूर्व मंत्री के अनुसार, विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु में विभिन्न मुद्दों की परिणति है और वहां के लोग कुछ पाने के लिए अंतिम छोर पर थे।इस संबंध में प्रदर्शनकारियों ने आईएएनएस से कहा कि जल्लीकट्ट पर जारी प्रतिबंध तमिल होने के नाते तमिलानाडु के युवाओं द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने का एक मौका था, जो विभिन्न मुद्दों जैसे कावेरी जल देने से कर्नाटक के इनकार और केंद्र सरकार की निष्क्रियता, श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के भारतीय मछुआरों पर लगातार हमले, राज्य में आम राजनीतिक स्थिति और अन्य मुद्दों के मामले में पाने वालों के अंतिम छोर पर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों की भावनाओं से सहमत राम दास ने कहा, "केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के साथ छल किया है।"
पीएमके नेता ने कहा, "मैं खास तौर पर तमिल मछुआरे शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं, क्योंकि केंद्र सरकार उन्हें भरतीय मछुआरे नहीं मानती है। अगर गुजरात के मछुआरों पर हमले किए जाते हैं तो केंद्र सरकार की उदासीन प्रतिक्रिया नहीं होगी।"रामदास ने कहा कि जल्लीकट्ट को लेकर युवाओं का विरोध प्रदर्शन मीडिया के लिए भी एक चेतावनी है, क्योंकि सोशल मीडिया लोगों का विश्वास जीत रही है, जबकि मीडिया विश्वास खो रही है।रामदास के अनुसार, जल्लीकट्ट के संचालन के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित किया जाने वाला अध्यादेश केवल एक अस्थाई उपाय है।
उन्होंने कहा, "पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम में संशोधन समस्या का स्थाई हल है।"
सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2014 में जल्लीकट्ट पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया था कि बैलगाड़ी दौड़ समेत जानवरों के प्रदर्शन के लिए बैल या सांड (बुल) का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उस समय से लोग खेल की मंजूरी के कदम उठाने हेतु केंद्र से अनुरोध कर रहे थे।केंद्र सरकार ने जल्लीकट्ट के आयोजन के लिए शुक्रवार शाम तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को हरी झंडी दे दी।



 

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