कश्मीर से अफस्पा और डिस्टब्र्ड एरिया एक्ट (डीएए) की वापसी की वकालत करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने बुधवार को कहा कि सरकार ने अशांत घाटी के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के समय हुए विमर्श पर कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की, जो नजर आए। उन्होंने कहा कि इस वजह से कश्मीर घाटी के लोगों में अधिक निराशा और विरक्ति पैदा हुई है। उन्होंने कहा, "सरकार ने कश्मीर में संबद्ध पक्षों से एक विश्वसनीय एवं व्यापक बातचीत शुरू करने में देर करने की जो रणनीति अपनाई है, वह लोगों के लिए नुकसानदायकहै और जिसके निहितार्थ खतरनाक हैं।" उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने घाटी में स्थिति से निपटने और पेलेट गन पर प्रतिबंध के बारे में अपने रुख में किसी भी बदलाव का संकेत नहीं दिया है। उन्होंने कहा, "एक उद्देश्यपूर्ण एवं न्यायसंगत बातचीत के लिए सभी राजनीतिक दलों के सांसदों की एक कमेटी गठित करने की जरूरत है। इस कमेटी की सहायता विशेषज्ञ करें और इसे कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बगैर किसी शर्त के गंभीर राजनीतिक बातचीत शुरू करने का अधिकार दिया जाए।"