केंद्रीय श्रमिक संगठनों की शुक्रवार की दिनभर की हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था को 16,000-18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उद्योग संगठन, एसोचैम (एसोसिएटेड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) ने एक बयान जारी कर कहा कि हड़ताल का असर ज्यादातर केरल, कर्नाटक, त्रिपुरा, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देखा गया, जबकि दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में हड़ताल का कम असर रहा। इससे देश भर का कारोबार प्रभावित हुआ है। एसोचैम का कहना है कि सच्चाई यह है कि भारत को अपनी सकल घरेलू उत्पाद दर तेजी से बढ़ानी है, इसलिए वह ऐसी हड़ताल नहीं झेल सकता।
इसके लिए उत्पादन और सेवा समेत अन्य क्षेत्रों को बढ़ावा देने की जरूरत है। हड़ताल के कारण उत्पादन भी थमा और परिवहन सेवाएं भी बाधित रहीं, जिससे विकास की रफ्तार को धक्का लगा है। एसोचैम ने एक बयान में कहा है कि श्रमिक संगठनों को बातचीत की मेज पर बैठकर मसला सुलझाना चाहिए और कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, "उद्योग मजदूरी बढ़ाने, श्रमबल के अच्छे जीवनस्तर के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन न्यूनतम मजदूरी की मांग संतुलित होनी चाहिए और अर्थव्यवस्था पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए।"