दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू)की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अब एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही हैं। उन पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगा है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें काम करने से रोकने की यह एक सोची समझी रणनीति है। स्वाति मालीवाल ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, "मैंने पिछले एक साल में इतना काम किया है, जितना डीसीडब्ल्यू की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह ने नौ वर्षों में नहीं किया। आयोग ने सालभर में 12,000 मामले निपटाए हैं। कई मामलों में दबाव के बावजूद दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए हैं।"हर फैसले के बाद उन्हें निशाने पर लिए जाने के बारे में मालीवाल ने कहा, "आयोग पिछले एक साल से हर मामले में मुस्तैदी से काम कर रहा है। हमने पूर्व मुख्य सचिव से लेकर विधायकों तक के खिलाफ नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है, जो सत्ताभोगियों को हजम नहीं हो रहा है। यही कारण है कि वे मुझे काम नहीं करने देना चाहते और उन्होंने मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में झूठी शिकायत दर्ज कराई।"
पद का दुरुपयोग कर आयोग में अपने परिचितों को भर्ती करने के आरोप से इनकार करते हुए मालीवाल ने कहा, "हमने मानदंडों एवं योग्यताओं के आधार पर नियुक्तियां की हैं। जिन लोगों की नियुक्ति हुई है, उनकी सूची हमारे पास है। मामले की जांच कीजिए।"वह कहती हैं, "बरखा सिंह ने अपने कार्यकाल में आयोग में आईएएस और आईपीएस की पत्नियों की भर्तियां की थी तब इस तरह के सवाल नहीं उठे थे।" हमने एक साल में 400 से ज्यादा नोटिस जारी किए हैं। सरकार को भी 50 से ज्यादा सुझाव दिए थे, जिनमें एक पर भी अमल नहीं किया गया। बुराड़ी की दुष्कर्म पीड़िता का नाम उजागर करने के मामले में मलीवाल ने कहा, "आरोप गलत है। मैंने दुष्कर्म पीड़िता का नाम उजागर नहीं किया। जिस एसएचओ ने यह मामला दर्ज किया है, उसके खिलाफ मैंने दोषी को पकड़ने के लिए नोटिस जारी किया था तब गिरफ्तारी हुई थी।
मेरे खिलाफी झूठी एफआईआर दर्ज की गई। अदालत ने उन्हें फटकार लगाई है।"स्वाति कहती हैं कि दरअसल, दिल्ली में महिला सुरक्षा पर कुछ काम नहीं हुआ है। दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के साथ-साथ राज्य एवं केंद्र सरकार में भी समन्वय नहीं है, जिससे दिल्ली की जनता पिस रही है। डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली सरकार को पीड़िता राहत राशि बढ़ाने का सुझाव दिया था। यह फाइल अक्टूबर, 2015 में उपराज्यपाल के पास भेजी गई, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया। इसी तरह थाना स्तर पर समिति गठन का भी सुझाव दिया गया था। अदालतों के निर्माण के उद्देश्य से जमीन के लिए दिल्ली सरकार ने संचिका केंद्र के पास भेजी, जो अधर में लटकी है। स्वाति का कहना है कि उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। वह भी ऐसे समय में जब दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है।
स्वाति ने केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के विदेशी महिलाओं के छोटे कपड़े पहनने वाले बयान पर कहा, "इस बयान से यही लगता है कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के लिए वह महिलाओं को ही दोषी ठहरा रहे हैं। महिलाओं को यह बताना बंद करना होगा कि वे क्या पहनें और क्या नहीं?"दिल्ली में हाल ही में हुए सेक्स रैकेट के भंडाफोड़ को दिल्ली पुलिस की उपलब्धि करार देते हुए उन्होंने कहा, "यह एक अच्छी पहल है। सालभर पहले तक जीबी रोड के बारे में कोई बात तक नहीं करता था, लेकिन हमने जीबी रोड का मुद्दा उठाया। इसके लिए नोटिस जारी किए। दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की और आठ लोगों को मकोका के तहत गिरफ्तार किया गया।"स्वाति कहती हैं कि उनके पास छिपाने को कुछ भी नहीं है। वह बताती हैं, "मेरा वेतन 30,000 रुपये है। मेरी कुल संपत्ति तीन लाख रुपये से भी कम है। ऐसा कुछ नहीं है, जिसे मैं छिपाऊं।"